जगदलपुर।
साल दर साल की कोशिशों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र में विकास की रफ्तार को आगे बढ़ाने सरकार क्या नहीं करती. लेकिन… जमीन पर वहां सिर्फ विकास के नक्शे नजर आते हैं जहां लोगों ने अपनी समृध्दि की ईमारतें सोची थी। ग्रामीण क्षेत्र में निर्वाचित जनप्रतिनिधि और अधिकारी मिलकर शासन को आर्थिक नुकसान पहुंचा रहे हैं. न सिर्फ इतना बल्कि वे ग्रामीणों के सपनों और सरकार की योजनाओं का बंटाधार कर अपनी जेबें गर्म कर रहे हैं. ग्राम सरगीपाल से ऐसा ही मामला सामने आया है जहां फर्जी मस्टररोल के सहारे अधिकारियों और सरपंच ने मिलकर पैसे डकार लिए.
जिला मुख्यालय से महज दो किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत सरगीपाल में ग्रामीण राजेन्द्र पिता लैखन, दयानिधी पिता बुटु, मंगडू पिता चंदर, विजय पिता भोलाराम, सोनिया पिता चिंगडू एवं रघुनाथ पिता चमरा सहित कुछ अन्य ग्रामिणों ने अपनी भूमि में मरम्मत कार्य के लिए जनपद मुख्यालय में आवेदन दिया था. उक्त आवेदन पर जनपद द्वारा अनुमति मिलने के पश्चात नियमानुसार ग्राम पंचायत सरगीपाल को बतौर कार्य एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया. इसमें पंचायत के सरपंज, सचिव, रोजगार सहायक एवं विभागीय सब-इंजीनियर को भूमि सुधार कार्य करने की जिम्मेदारी मिली. किन्तु कार्य शुरू होते ही एजेंसी की नियत डोल गयी और नियम विरुद्ध उक्त कार्य को अंजाम देने लगी. इसके फलस्वरूप ग्रामीणों का आक्रोश और नाराजगी दिनोदिन आसमान छूने लगी.
गौरतलब है की मनरेगा योजना के तहत इस कार्य को करने के लिए मजदूरों की आवश्यकता होती है, ताकि ग्रामीणों को रोज़गार मुहैय्या करवाया जा सके. ग्रामीणों के इस भूमि मरम्मत कार्य में राजेन्द्र पिता लैखन मास्टररोल क्रमांक 970 दि. 03/06/2015, 971 दि. 03/06/2015, 972 दिनांक 03/06/2015 एवं दयानिधी पिता बुटु मास्टररोल क्रमांक 315 दिनांक 04/04/2016, 2602 दि. 16/05/2016, 3107 दि. 23/05/2016, 3108 दिनांक 23/05/2016, 3105 दि. 23/05/2016, 3106 दि. 23/05/2016, 4157 दि. 06/06/2016, 4156 दि. 06/06/2016, 4155 दि. 06/06/2016, 4154 दि. 06/06/2016, 4152 दि. 06/06/2016, 4152 दि. 06/06/2016 एवं 4153 दि. 06/06/2016 की भूमि में कार्य तो नहीं किया गया अपितु एजेंसी द्वारा फर्जी मस्टररोल बनाकर, लाखों रुपये आहरण कर आपस में डकार लिया गया. इस फर्जीवाडा का आलम तो इतना गंभीर था की मस्टररोल में ग्रामीणों के नाम से फर्जी हस्ताक्षर तक कर दिया गया, जो की मस्टररोल देखने पर साफ़ दिखाई पड़ता है.
ग्रामीणों को जब एजेंसी की इस बदनीयती का पता चला तो सभी ने मिलकर इस घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए कलेक्टर कार्यालय के सामाजिक अंकेक्षण विभाग में सरपंच मोहन नाग, सचिव श्रीमती निलंती सेठिया, रोजगार सहायक जलंधर यादव एवं उपयंत्री जीतेन्द्र साहू के विरुद्ध शिकायत दर्ज करवाई. लेकिन आलम यह रहा की अधिकारीयों ने ग्रामीणों के इस शिकायत को दरकिनार कर दिया, जिससे उक्त लोगों के ऊपर कोई कार्यवाई नहीं हो सकी.
उक्त किसानों ने अब कलेक्टर अमित कटारिया, कमीश्रर दिलीप वासनीकर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत रितेश अग्रवाल से शिकायत करने का मूड बना लिया है. बहुत ही जल्द वे इसकी शिकायत व न्याय की आस में जगदलपुर कलेक्टर कार्यालय का रुख कर सकते हैं.
मालूम हो कि जिला पंचायत से सटे इस सरगीपाल ग्राम पंचायत में कई वर्षों से शासकीय योजनाओं में आर्थिक गड़बड़ी की जा रही है. उदाहरण के लिए मूलभूत सेवा योजना, तेरहवां वित्त, चौदहवां वित्त, इंदिरा आवास योजना, गौण खनिज व शौचालय निर्माण कार्यों में भी आर्थिक अनियमितता की गई है. इन योजनाओं में उच्च स्तरीय जांच की दरकार है.