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बांसवाड़ा/जयपुर .
राजस्थान का एकमात्र जिला बांसवाड़ा है जहां लड़कों की तुलना में लड़कियों का जन्म ज्यादा हुआ है. वर्ष 2017-18 की तुलना में 2018-19 में 16 बेटियों ने लड़कों की तुलना में ज्यादा जन्म लिया है.
इससे राजस्थान की छवि पर लगा दाग धीरे धीरे धुल रहा है. दरअसल राजस्थान को कन्या भ्रूण से कई तरह की दिक्कत होती रही थी. लेकिन सरकार के साथ ही निजी संस्थाओं के प्रयास से इसमें सुधार आ रहा है.
अकेले बांसवाड़ा जिले में 1000 बेटों की तुलना में 1003 बेटियों के जन्म का आंकड़ा बनता है. लिंगानुपात के मामले में प्रदेश के कई जिले अभी भी ऐसे हैं जहां लड़कों की तुलना में लड़कियों की संख्या कम है.
अकेले सिरोही जिले में प्रतिहजार बेटों के पीछे 11 बेटियां कम पैदा हुई है. टोंक में 36, अजमेर में 13, गंगानगर में 8, भरतपुर में 3 बेटियां कम पैदा हुई है. कोटा में नौ साल की मेहनत के बाद लिंगानुपात में छ: अंकों की वृद्धि देखी गई है.
बेटी बचाओ आंदोलन से जुड़े राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि इसके बावजूद झुंझनूं जैसे जिले में अभी भी स्थिति में सुधार नहीं आया है. वर्ष 2017-18 में प्रतिहार बेटों के पीछे 948 बेटियां पैदा हुई थी जो कि इस साल 930 पर आ गई है. मतलब साफ है कि वहां 18 बेटियों की पैदाइश और गिरी है.