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रायपुर.
वामपंथी दलों ने अमेरिकी हितों के आगे भारत के समर्पण को देश के लिए आत्मघाती करार दिया है. वामपंथी इसका पुरजोर विरोध करने का आव्हान देश की जनता से कर रहे हैं.
आज छत्तीसगढ़ की पांच वामपंथी पार्टियों ने एक बयान जारी किया है. इसमें उन्होंने अमेरिकी सचिव माइक पोपियो की भारत यात्रा की ओर देश का ध्यान आकृष्ट किया है.
पोपियो ने देश के विदेश मंत्री से बातचीत की थी. इसके ब्यौरे से स्पष्ट है कि भारत की विदेश नीति और रक्षा नीति पर अमेरिका ‘विश्वगुरू’ बनने का दावा करने वाली भारत सरकार की बांह मरोड़ रहा है.
बयान में कहा गया है कि देश की मोदी सरकार अमेरिका का घनिष्ठ सहयोगी बनने की आतुरता में अमेरिका के समक्ष समर्पण की दिशा में एक और कदम आगे बढा चुकी है.
संयुक्त बयान में माकपा, भाकपा, सीपीआई (एमएल)-लिबरेशन, एसयूसीआई (सी), सीपीआई (एम-एल)-रेड स्टार ने कहा है कि भारत सरकार देश के निर्यातों पर अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे प्रतिबंधों, ईरान और वेनेजुएला से सस्ते कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध की धमकियों पर चुप्पी साधे हुए है.
इस बात पर भी चिंता जाहिर की गई है कि रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली न खरीदने की अमेरिकी दबाव का भी कोई सीधा प्रत्युत्तर नहीं दिया है. अमेरिकी दबाव में ही यह सरकार पहले ही फिलिस्तीनियों के जायज संघर्षों से दगाबाजी करके नस्लवादी इसरायल के पक्ष में खड़ी हो चुकी है.
वामपंथी पार्टियों ने रेखांकित किया है कि जिस प्रकार अमेरिका पूरी दुनिया में अपनी दादागिरी थोपने के लिए ‘अनैतिक व्यापार युद्ध’ का सहारा ले रहा है, उसके चलते पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था पटरी से उतरकर एक नई मंदी की ओर बढ़ रही है.
वह भारत पर भी अमेरिकी हितों के अनुरूप नीतियों में परिवर्तन के लिए दबाव बना रहा है और दुख की बात यह है कि देश की संप्रभुता और आत्म-सम्मान की कीमत पर यह सरकार अमेरिका के आगे घुटने टेक रही है.