एसपी जिसे जिले का पुलिस कप्तान माना जाता है वह यदि पैसे देकर जिले में पदस्थ हो तो इसे क्या कहेंगे?
पुलिस कप्तान जिले में कानून व्यवस्था बनाए रखने के साथ ही महकमे को सुचारू तरीके से चलाने के लिए जिम्मेदार होता है.
लोकसभा चुनाव के बाद हुए फेरबदल में एक बड़े जिले में पुलिस कप्तान बनाकर भेजे गए अफसर के संबंध में कई तरह की जनचर्चा सुनाई दे रही है.
जनचर्चा के अनुसार बड़े जिले का पद प्राप्त करने के लिए इस पुलिस कप्तान ने 75 लाख रूपए की बोली लगाई है.
जनचर्चा कहती है कि यह बड़ा जिला कई तरह से आवक का जरिया है. कबाड़ से लेकर तस्करी के अलावा इस बड़े जिले में कई तरह के खेल होते हैं.
इसी बड़े जिले में जनचर्चा अनुसार पुलिस कप्तान ने पदस्थ होने 75 लाख रूपए दिए हैं.
अब ये रूपए या तो किसी बड़े अधिकारी को दिए गए हैं या किसी बड़े नेता को दिए गए हैं यह तो हमें नहीं मालूम लेकिन इससे भाजपा-कांग्रेस के बीच का अंतर समझ आता है.
भाजपा सरकार के समय प्राय: ऐसी बात सुनाई नहीं देती थी कि किसी जिले में पदस्थ होने कलेक्टर-एसपी ने इस तरह रूपयों का लेनदेन किया है. अब कांग्रेस सरकार में सुनाई दे रही है.
कांग्रेस का नारा था कि वक्त है बदलाव का, तो वह अब नजर भी आ रहा है.
महज छ: माह के भीतर सरकार क्यूंकर विवादों में आ रही है इस पर भले ही किसी का ध्यान नहीं है लेकिन जनचर्चा कहती है कि ऐसे ही कृत्य सरकार को महंगे पड़ रहे हैं.
जनचर्चा में चिंता इस बात की जताई जा रही है कि जब कोई अधिकारी यदि पैसे लेकर पद प्राप्त करेगा तो वह पैसों की वापसी के लिए ही काम करेगा. उस समय नियम कायदे कानून कहीं नहीं रह जाएंगे.
अब यदि कोई एसपी पैसे देकर आता है तो वह किस अधिकार से अपने मातहतों को ईमानदार रख पाएगा?
वह तो चाहेगा कि उसके मातहत नियम कानून से परे जाकर काम करे और उसे हजार नहीं बल्कि लाखों में रूपए लाकर दे.
यह हम नहीं कहते कि ऐसा हुआ ही है लेकिन चर्चा इसी बात की है.
जनचर्चा बताती है कि जिस पुलिस अधीक्षक ने रूपए देकर बड़ा जिला प्राप्त किया है वह भाजपा नेताओं से न केवल नजदीकी रहा है.
बल्कि उनका रिश्तेदार भी बताया जाता है.और तो और वीआईपी जिले में पदस्थ भी रह चुका है.