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किरंदुल.
बस्तर के आदिवासी एक बार फिर तल्ख हैं. इस बार मसला उनके नंदीराज पहाड़ को लेकर है. इस पहाड़ को खनन के लिए सौंपे जाने की तैयारी के बीच आदिवासी पहाड़ पर अपने देवी देवताओं के होने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं.
मसला अब धीरे धीरे गंभीर हुए जा रहा है. नंदीराज पहाड़ की 13 नंबर की पहाड़ी जहां पट्टोड़मेटा का स्थान माना जाता है वहां धीरे धीरे आदिवासी सुलगने लगे हैं. पट्टोड़मेटा को नंदीराज की पत्नी का स्थान माना जाता है.
एनएमडीसी को घेरे रखा है
उल्लेखनीय है कि आदिवासियों ने 13 नंबर की पहाड़ी को बचाने के लिए कल से यहां स्थित एनएमडीसी के प्रशासनिक भवन को घेरे रखा है.
अब यह विषय राजनीतिक हुए जा रहा है. जहां एक ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर कहा है कि वनाधिकार कानून को पिछले 13 साल में ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया है.
भूपेश आगे लिखते हैं कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों को उनके हक की जमीन सौंप देनी चाहिए. उन्होंने सदियों से जंगल को बचाकर रखा है. वे जंगल को बचा सकते हैं आप नहीं.
इधर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ जे के नेताओं ने भी इस आंदोलन में शामिल होना शुरू कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री अजित जोगी ने कहा है कि जैसे राम मंदिर की आस्था है वैसे ही बैलाडीला की पहाडिय़ों पर आदिवासियों के देवी देवता विराजमान हैं. हम अंतिम समय तक आदिवासियों के साथ रहेंगे.
जबकि प्रदेश के आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने ऐलान कर दिया है कि बस्तर में अडानी को घुसने नहीं दिया जाएगा. जोगी कांग्रेस ने पहले ही लखमा को इस्तीफा देकर आदिवासियों का साथ देने की सलाह दी थी.
बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी भी आदिवासियों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. उन्होंने धरना स्थल पर पहुंचकर आदिवासियों का साथ दिया.
एमडीसी-सीएमडीसी लिमिटेड (एनसीएल) के सीईओ वीएस प्रभाकर ने इधर 13 नंबर निक्षेप में मेसर्स अडानी इंटरप्राइजेस लिमिटेड को खदान या जमीन दिए जाने के आरोप का खंडन किया है. प्रभाकर के मुताबिक खदान का स्वामित्व एनसीएल के पास ही है.
बहरहाल नंदीराज पहाड़ अब किरंदूल से बाहर निकलकर प्रदेश-देश स्तर पर चर्चित होने लगा है. आने वाले दिनों में जहां आंदोलन का स्वरूप व्यापक हो सकता है वहीं प्रदेश की कांग्रेस व देश की भाजपा सरकार के बीच तलवारें खींच सकती है.