भवजोत सिंह गरचा
इस साल के विश्व पर्यावरण दिवस का विषय वायु प्रदूषण है। हम सांस लेना तो नहीं छोड़ सकते लेकिन सांस लेने वाली हवा की गुणवत्ता को ज़रूर सुधार सकते हैं।
वायु प्रदूषण के लिए वाहन एक प्रमुख कारण है। डीज़ल और पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की जगह यदि साइकिल और ई-बाइक का इस्तमाल किया जाए तो पर्यावरण में कुछ सुधार लाया जा सकता है. . . लेकिन लोगों को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करना इतना आसान नहीं।
राजनांदगांव शहर में साइकिल चलाना किसी साहसिक कार्य से कम नहीं। शहर की प्रमुख सड़क जीई रोड पर साइकिल चालकों के लिए अलग से साइकिल ट्रैक होना चाहिए। जीई रोड पर लगे स्पीड लिमिट के बोर्ड को कार चालक बिल्कुल नज़रअंदाज़ करते हैं। ट्रैफिक पुलिस भी कार चालकों की गति को नियंत्रित करने में असफल रही है। ऐसे में साइकिल चलना एक जोखिमभरा कार्य है।
राजनांदगांव में बने अनियमित स्पीड ब्रेकर साइकिल चालकों की कमर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। साथ ही साइकिल को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे अनियमित स्पीड ब्रेकर आपको प्रमुख सड़कों और कालोनियों में आसानी से मिल सकते हैं। राजनांदगांव एक ऐसा विचित्र शहर है जहां चौक चौराहों पर वाहनों को रोकने के लिए ट्रैफिक लाइट से साथ स्पीड ब्रेकर की भी ज़रूरत पड़ती है।
जिस साल के पर्यावरण दिवस का विषय ही वायु प्रदूषण हो, उसी साल में शुरू हुए बूढ़ा सागर की गहराई और सौंदर्यीकरण के काम से पूरा शहर धूल से भर चुका है। नगर निगम इस धूल को रोकने में पूरी तरह से विफल रहा है।
जब स्थानीय प्रशासन का राजनांदगांव कलेक्टोरेट और जिला न्यायालय के सामने धूल पर कोई नियंत्रण नहीं है तो शहर के दूसरे क्षेत्र पर क्या नियंत्रण होगा? और ग्रामीण इलाकों के बारे में सोचना ही बेकार है।
एसी गाड़ियों में चलने वाले अफ़सर और नेता वायु प्रदूषण को रोकने के लिए बहुत अच्छे भाषण देते हैं। कुछ तो सुबह सुबह स्वस्थ रहने के लिए साइकिल भी चलाते हैं पर नागरिकों के लिए न तो साइकिल चलाने लायक सुरक्षित सड़कें हैं और न ही धूल को काबू करने के लिए कोई प्रयास किया जाता है।
राजनांदगांव की सड़कों पर गाड़ियों की अनियंत्रित गति, अनियमित स्पीड ब्रेकर और धूल को देखते हुए यह कहना गलत नहीं होगा कि राजनांदगांव वासी अगर पर्यावरण बचाने के लिए साइकिल चलाएंगे तो खुद बीमार हो सकते हैं।