नेशन अलर्ट.
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रायपुर.
छत्तीसगढ़ में अभूतपूर्व संवैधानिक संकट उत्पन्न हो गया है. जिन कनक तिवारी के इस्तीफे की बात मुख्यमंत्री ने कही थी वही कनक तिवारी ने अपने फेसबुक पर यह लिखकर सनसनी फैला दी है कि उन्होंने इस्तीफा नहीं दिया है. तो आखिर मुख्यमंत्री और महाधिवक्ता में झूठा कौन है?
बस्तर के दो दिवसीय प्रवास से लौटे मुख्यमंत्री ने कल राजधानी रायपुर में यह टिप्पणी की थी कि महाधिवक्ता पद पर नियुक्त किए गए कनक तिवारी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इस इस्तीफे को स्वीकारने के साथ उन्होंने महाधिवक्ता पद पर नई नियुक्ति कर दिए जाने की जानकारी दी थी.
तो इस्तीफा दिखाएं
इस विषय पर नेशन अलर्ट ने कनक तिवारी से बातचीत की. उन्होंने स्पष्ट कहा कि महाधिवक्ता पद से इस्तीफा नहीं दिया हूं. यदि दिया हूं तो वह पत्र दिखाएं जिसमें इस्तीफे की बात लिखी गई है.
कनक तिवारी इससे ज्यादा कुछ और कहने को तैयार नहीं हैं. जब उनसे किसी तरह की वैधानिक कार्यवाही किए जाने के संबंध में सवाल किया गया तो उन्होंने स्पष्ट कुछ न कहते हुए सिर्फ इतना कहा कि इस विषय पर अभी कुछ नहीं कहूंगा.
इस विषय पर सरकारी पक्ष जानने नेशन अलर्ट ने सरकार के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा से भी बातचीत करने का प्रयास किया. शाम 7:8 मिनट पर चूंकि विनोद वर्मा ने कॉल अटेंड नहीं की इसकारण सरकार का अपना नजरिया पता नहीं चल पाया.
इधर इस विषय पर भाजपा ने चुटकी लेना प्रारंभ कर दिया है. पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने सरकार द्वारा उत्पन्न की गई संवैधानिक संकट की स्थिति की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए ट्वीट किया है.
डॉ. रमन ने ट्वीट में लिखा है कि कनक तिवारी सहित राजभवन ने स्वीकार किया है कि पद से इस्तीफा नहीं दिया गया है. डॉ. रमन ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि किस प्रकार महाधिवक्ता का इस्तीफा स्वीकृत किया गया है यह छत्तीसगढ़ की आम जनता को बताना चाहिए.
भाजपा के ही पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने मामले में सरकार पर तीखा हमला बोला है.उन्होंने सीएम पर यह कहते हुए कटाक्ष किया है कि न खाता न बही,जो भूपेश कहें वही सहीं.
बहरहाल मामला गंभीर होता जा रहा है. आने वाले कुछ दिनों में मामला कोई न कोई रंग जरूर दिखाएगा. इधर सरकार की ओर से सतीशचंद वर्मा को महाधिवक्ता पद पर नियुक्त किए जाने का आदेश प्रसारित कर दिया है. अब तक वह अतिरिक्त महाधिवक्ता का दायित्व संभाल रहे थे.