आऊट सोर्सिंग को बड़ा मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस सरकार के मंत्री अपने निजी मामले निपटाने के लिए बाहरी प्रदेशों के लोगों की मदद ले रहे हैं.
इनमें से कई मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और अन्य प्रदेशों से यहां आए हुए हैं. दरअसल कांग्रेस सरकार में मंत्रियों ने अपने विभाग के बड़े मामलों में सौदे के लिए आऊटसोर्सिंग कर एजेंट बुलाए हैं ऐसी जनचर्चा है.
छत्तीसगढ़ में आऊटसोर्सिंग उस वक्त एक बड़ा मुद्दा बनकर उभरा जब अमित जोगी ने भाजपा की डॉ. रमन सिंह सरकार को इस मामले में घेरा.
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी ने कांग्रेस में रहते हुए अपने विधायक कार्यकाल में आरोप लगाया था कि भाजपा सरकार दूसरे प्रदेश के लोगों को लाकर न सिर्फ रोजगार दे रही है बल्कि इससे स्थानीय युवाओं में बेरोजगारी बढ़ रही है.
कांग्रेस ने भी उस दौर में भाजपा को इस मुद्दे पर घेरा था. 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने इसे अपने घोषणा पत्र में भी शामिल किया. और इसके साथ ही छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा के मुद्दे पर कांग्रेस ने 15 साल बाद वापसी की.
पर, अब क्या हो रहा है… प्रदेश के कद्दावर मंत्रियों ने अपने मंत्रालय के मामलों को निपटाने के लिए बाहरी लोगों को मुस्तैद किया है. इन लोगों के पास उन मामलों को हैंडल करने की जिम्मेदारी है जो ऑफ द रिकॉर्ड ही रहते हैं.
प्रदेश के कद्दावर मंत्री के बारे में अभी से जनचर्चा सुनाई देने लगी है. मंत्री का जैसा कद है वैसा ही डिमांड उनकी ओर से होने लगी है. मंत्री ने आऊटसोर्सिंग कर लाए लोगों को इस तरह की जिम्मेदारी दे रखी है.
अब मंत्री हैं तो ईमानदारी की बात करते हैं लेकिन उनके आऊटसोर्स किए हुए लोग उन्हीं कामों को बड़ी जिम्मेदारी से निपटाते हैं जिनमें उनकी मांग पूरी होती नजर आती है. इस तरह की जनचर्चा जगह-जगह हो रही है.
अब बात मंत्री के कार्यकर्ताओं की आती है. तो अब हो यह रहा है कि सालों साल नेताओं के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता हाशिए पर हैं. अगर उन्हें अपने नेताओं से किसी मदद की या फिर उन्हें किसी काम के लिए एप्रोच की जरुरत है तो उन्हें यही एजेट्स हैंडल कर रहे हैं.
यक्ष प्रश्न :
कांग्रेस के किस मंत्री ने लोकसभा चुनाव में हार होने पर इस्तीफे की रणनीति तैयार कर रखी है?