मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव पद से रिटायर्ड हुए बसंत प्रसाद सिंह ने जिस प्रकरण में कोर्ट में गवाही दी थी उस प्रकरण में अब जाकर सजा सुनाई गई है. बसंत तब दुर्ग कलेक्टर हुआ करते थे. 138 गवाहों में से 101 के बयान न्यायालय में दर्ज हुए. 25 मई 2018 को अंतिम गवाह के रूप में बसंत प्रताप सिंह कोर्ट में उपस्थित हुए थे. उनकी गवाही पर अंत्यावसायी सहकारी समिति के तत्कालीन सीईओ नीलमचंद गजभिए, दुर्ग-राजनांदगांव ग्रामीण बैंक के तत्कालीन प्रबंधक किशुन मेश्राम सहित 13 आरोपियों को एक एक साल की कैद की सजा सुनाई गई है. इनमें क्लर्क राजकिशोर तिवारी, फिल्ड अफसर पीतांबरराम यादव, भृत्य मानवेंद्र चक्रवर्ती, लेखापाल सनीराम सुमन, फिल्ड अफसर केएसजी वर्गीस, मोहन अग्रवाल कूटरचना कर दस्तावेज तैयार करने में सहयोग करने वाले मनोज सोनी, रवि उर्फ शेखर टंडन, सुदेश मराठे को कैद सहित दो दो हजार रूपए के अर्थदंड से दंडित किया गया है. अर्थदंड जमा न करने पर दो दो माह के अतिरिक्त कारावास की सजा न्यायाधीश मोहन सिंह कोर्राम ने सुनाई है. उल्लेखनीय है कि जिला अंत्यावसायी सहकारी समिति में वर्ष 1996 में 19 लाख रूपए का घोटाला हुआ था. मामला उसी से जुड़ा हुआ था.