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नई दिल्ली/रायपुर.
बेरोजगारी के सरकारी आंकड़े अब जाकर लीक हुए हैं. 2012 से 2017 के दौरान सात राज्यों से बढ़कर ग्यारह राज्यों में बेरोजगारी फैल गई थी. सबसे कम 33 फीसदी बेरोजगारी की दर छत्तीसगढ़ राज्य में बताई गई है.
उल्लेखनीय है कि सरकार ने बेरोजगारी की दर को दबाकर रखा था. लेबर फोर्स सर्वे अब जाकर लीक हुआ है. 2012 में बेरोजगारी दर 2.2 थी जो कि 2017 में बढ़कर 6.1 हो गई है.
पांच साल में सबसे कम नौकरियां
बीते 45 साल के आंकड़ों का अध्ययन करें तो पिछले पांच साल में सबसे कम सरकारी नौकरियां दी गई है. एक तिहायी राज्यों में बेरोजगारी का आंकड़ा 2017-18 के दौरान राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा था.
एनएसएसओ के सर्वे का अध्ययन कर बिजनेस स्टेंडर्ड ने एक खबर का प्रकाशन किया. इसी खबर में ग्यारह राज्यों में से उन सात राज्यों का उल्लेख है जहां सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर्ज थी.
हरियाणा, बिहार, असम, उड़ीसा, उत्तराखंड, झारखंड व केरल सात राज्यों में शामिल है जहां बेरोजगारी मुंह फाड़े खड़ी थी. गत वित्तीय वर्ष के दौरान इसमें पंजाब सहित तमिलनाडू, तेलंगाना, उत्तरप्रदेश जैसे राज्य शामिल हो गए.
वर्ष 2017-18 में 6.1 प्रतिशत बेरोजगारी दर्ज थी. केरल में सर्वाधिक 14 फीसदी बेरोजगार बताए गए हैं. हरियाणा 8.6, असम 8.1, पंजाब 7.8 प्रतिशत वाले जैसे राज्य भी इसमें शामिल हैं.
और तो और प्रधानमंत्री के गृहप्रदेश गुजरात को भी तेजी से बेरोजगार होते दर्शाया गया है. वर्ष 2011-12 के दौरान जिस गुजरात के 0.5 फीसदी लोग बेरोजगार हुआ करते थे उसी गुजरात के 4.8 प्रतिशत गुजराती बेरोजगार हो गए हैं.
ग्रामीण व शहरी युवकों की संख्या में बड़ी तेजी से प्रगति हो रही है. सुधार के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार को सबसे आगे बताया गया है.
उल्लेखनीय है कि एनएसएसओ के इस डेटा को सरकार ने अब तक जारी नहीं किया था. जुलाई 2017 से जून 2018 के बीच एकत्र किए गए आंकड़े लीक हो गए हैं.
इसमें 1972-73 के बाद सर्वाधिक 6.1 की बेरोजगारी दर 2017-18 के दौरान पाई गई है. नीति आयोग की तरफ से अपनी सफाई में सिर्फ इतना ही कहा गया कि सर्वे में अभी कई तरह की कमी रह गई थी. अधूरी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं कराई जा सकती है.