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रायपुर.
मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी की छत्तीसगढ़ राज्य समिति ने हालिया लोकसभा चुनाव में जन विरोधी-जनतंत्र विरोधी भाजपा को हर हाल में हराने की अपील जनता से की है. संविधान और संसदीय जनतंत्र की रक्षा करने का आह्वान जनता से किया गया है.
माकपा के छत्तीसगढ़ सचिव संजय पराते बताते हैं कि गत लोकसभा चुनाव भाजपा ने दो करोड़ रोजगार पैदा करने के झूठे आश्वासन के बाद जीता था. किसानों को स्वामीनाथन आयोग के सी-2 फॉर्मूले के अनुसार उत्पादन लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य देने सहित कर्जमाफी का भी वादा झूठा निकला है.
पराते के मुताबिक काला धन देश में वापस लाकर प्रत्येक देशवासी के खाते में 15 लाख रूपए जमा करने सहित महिलाओं को एक तिहायी आरक्षण देने, पेट्रोल-डीजल-गैस की कीमतों सहित महंगाई कम करने का वायदा भी झूठा साबित हुआ है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अच्छे दिन के लिए किए गए वायदे जुमले ही साबित हुए हैं. गत पांच साल के दौरान कार्पोरेट परस्त नीतियों को लागू किया गया है. आज देश में 1 प्रतिशत धनाढ्य लोगों के पास कुल संपदा का 73 फीसदी जमा हो गया है. मेहनत करने वाले लोग इस स्थिति में जिंदा रहने की लड़ाई लड़ रहे हैं.
खेती किसानी की ओर खींचा ध्यान
पार्टी ने आम जनमानस के लिए एक पत्र लिखा है. इस पत्र में महंगाई, रोजगार, अर्थव्यवस्था सहित खेती किसानी की ओर ध्यान आकर्षित कराया गया है. पार्टी लिखती है कि महंगाई पांच साल पहले की तुलना में काफी उच्च स्तर पर है.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमत में भारी गिरावट होने के बावजूद पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा पेट्रोल-डीजल-गैस की कीमत भारत में ही है. हीरा पर 0.25, सोना पर 3 व बीमा पर 18 फीसद जीएसटी लगाने से स्पष्ट होता है कि आम जरूरत की वस्तुओं की कीमत सबसे ज्यादा बढ़ी है.
पराते बताते हैं कि पिछले 45 साल में बेरोजगारी की सबसे ऊंची दर 7.1 फीसद अभी चल रही है. नोटबंदी और खुदरा व्यापार में विदेशी निवेश के कारण पिछले पांच साल में 3.2 करोड़ मजदूर बेरोजगार हुए हैं.
संगठित क्षेत्र में हर साल 28 लाख पद खाली हो रहे हैं जबकि एक लाख पदों पर ही भर्ती की जा रही है. पराते के अनुसार केंद्र, राज्य और स्थानीय निकायों मेे डेढ़ करोड़ से ज्यादा पद रिक्त हैं लेकिन इन्हें आज तक नहीं भरा गया है.
अर्थव्यवस्था पर वे बताते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी की दोहरी मार के कारण जीडीपी में 1 फीसद की मार आई है. 2013-14 में जीडीपी की दर 8.2 थी जो कि आज महज 4.7 फीसद रह गई है.
इसी तरह आयात निर्यात व्यापार घाटा 17-18 के 6.1 अरब डॉलर से बढ़कर 19.1 अरब डॉलर हो गया है. निजीकरण और विनिवेशीकरण की नीतियों को बढ़ावा देने वाली सरकार में सार्वजनिक उद्योग पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं.
पराते इस संदर्भ में बीएसएनएल का उदाहरण देते हैं. वे बीएसएनएल को घाटे पर बताते हुए बताते हैं कि 54 हजार कर्मचारियों की नौकरियां खतरे में पड़ गई है. 44 प्रमुख श्रम कानूनों को सरकार ने खत्म कर दिया है. 16 श्रम कानूनों का पालन करना जरूरी नहीं रह गया है.
उनके अनुसार मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी और सामान्य काम के लिए सामान्य वेतन तक नहीं मिल रहा है. सरकारी कर्मचारियों के लिए पेंशन योजना खत्म कर दी गई है. उनके भविष्य निधि के पैसे शेयर मार्केट में लगाकर कार्पोरेट को फायदा पहुंचाया जा रहा है.
वे बताते हैं कि भारतीय बैंकिंग उद्योग खतरे में है. कार्पोरेट्स ने 11 लाख करोड़ रूपए के कर्ज को हड़प कर लिया है. रिजर्व बैंक के रिजर्व फंड का उपयोग सरकार अपनी मन मर्जी से कर रही है.
किसान कर्ज के मकड़जाल में फंसे हुए हैं. उन पर एक लाख करोड़ रूपए का बैंकिंग कर्ज चढ़ा हुआ है. 2013-14 की तुलना में आज डेढ़ गुना ज्यादा किसान आत्महत्या कर रहे हैं.
खेती किसानी में घाटा और ज्यादा बढ़ गया है. फसल बीमा योजना कार्पोरेट क्षेत्र के मुनाफा कमाने का औजार बनकर रह गई है. कृषि विभाग की दर 2013-14 की तुलना में आधी से भी कम रह गई है.
सचिव पराते के अनुसार मोदी सरकार ने संविधान के संघीय ढांचे पर भारी हमला किया है. सभी पड़ोसी राष्ट्रों से हमारे संबंध आज बेहद खराब हैं. अमेरिका के इशारे पर विदेश नीति तय की जा रही है.
वे बताते हैं कि तीस हजार करोड़ रूपए के राफेल घोटाले ने बता दिया है कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हुई है. सेना और हमारे सैनिकों के सभी अहम मुद्दे लंबित हैं.
संघ-भाजपा की नीतियों के खिलाफ जिसने भी आवाज उठाई है उसे राष्ट्र विरोधी करार दिया गया है. हमले-हत्याएं करके चुप कराने की कोशिश की जा रही है.
दलितों पर 32 और आदिवासियों पर 55 फीसद उत्पीडऩ की घटनाओं में वृद्धि हुई है. महिलाओं को बढ़ती हिंसा का निशाना बनाया गया है. समाज में अमानवीयकरण करने की कोशिश हो रही है.
पराते बताते हैं कि मोदी सरकार देश के संविधान को ही बदलकर उसे हिंदू राष्ट्र बनाने पर आमदा है. चार माह पूर्व विधानसभा चुनाव में वाम दलों की संयुक्त अपील पर भाजपा को जनता ने हराकर जबरदस्त रूप से समर्थन दिया था.
मार्क्सवादी कम्युनिष्ट पार्टी ने एक बार फिर जनता से अपील की है कि भाजपा की पराजय सुनिश्चित करें. केंद्र में वैकल्पिक धर्म निरपेक्ष सरकार के गठन के लिए वह अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें.