मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बेटी बचाव अभियान पर करोड़ों खर्च किए लेकिन गर्भ में महिला भ्रूण की हत्या लगातार जारी है. अकेले राजधानी भोपाल में 1000 लड़कों के पीछे लड़कियों की जन्मदर 884 बताई गई है. आदिवासी बहुल डिंडोरी जिले में इस पर स्वास्थ्य विभाग अपनी पीठ थपथपा सकता है. वहां 1000 लड़कों के पीछे 1006 लड़कियां पैदा होती है. यह आंकड़ा अप्रैल 2018 से फरवरी 2019 के बीच का है. महानगर अथवा बड़े जिलों की तुलना में आदिवासी जिलों में बेटियों की जन्मदर अच्छी कही जा सकती है. भोपाल में पिछले चार साल के दौरान बेटियों की संख्या में 49 अंकों की कमी आई है. बालाघाट, मंडला, डिंडोरी व अलीराजपुर में लिंगानुपात 1000 से ज्यादा था. भिंड में 833 व मुरैना में 840 था. दोनों जिलों में अब प्रतिहजार लड़कों पर 900 से ज्यादा लड़कियां जन्म ले रही है. एचएमआईएस बुलेटिन के मुताबिक पूरे मध्यप्रदेश में प्रति एक हजार बेटों पर 936 बेटियां जन्म ले रही है.