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राजनांदगांव.
पुलिस के द्वारा किए गए दावे के मुताबिक जिस नक्का राव उर्फ मूर्ति को प्रधानमंत्री की कथित हत्या की साजिश में शामिल रहे शहरी नक्सली नेटवर्क से जुड़ा हुआ बताया गया उसके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं था. जब सबूत न हो तो उसे कोर्ट में कहां से पुलिस पेश करती. इसी के चलते जमानत मिल गई.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 2018 के जाते समय 24 दिसंबर को बागनदी पुलिस ने एक सफलता अर्जित की थी. अब यही सफलता उसके लिए परेशानी खड़ी कर रही है. और तो और भाजपा-कांग्रेस को इस मुद्दे पर लोकसभा चुनाव के दौरान आमने सामने कर दिया है.
नेशनल कोआर्डिनेटर बताया था
मामला दरअसल थोड़ा पुराना है. इतना भी नहीं कि याददाश्त से बाहर हो जाए. उस वक्त दुर्ग रेंज में आईजी जीपी सिंह हुआ करते थे. जीपी सिंह के समय ही नक्सली रहे पहाड़ सिंह ने समर्पण किया था.
पहाड़ सिंह ने तब एमएससी जोन के सेंट्रल कमेटी मेंबर दीपक तेलतुमड़े के संबंध में बहुत सी जानकारी पुलिस को दी थी. उस वक्त पुलिस का प्रयास दीपक तेलतुमड़े को गिरफ्तार करने का था.
दीपक न सही पुलिस के हाथ तब हैदराबाद नेशनल जियोफिजिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट के सीनियर टेक्रिकल अफसर एस वेंकटराव उर्फ नक्का राव लग गया था. उस वक्त पुलिस ने चीख चीख कर कहा था कि वर्ष 1980 से ही नक्का राव नक्सलियों की मदद कर रहा है.
और तो और पुलिस के दावे के मुताबिक उसके पास से कई अहम दस्तावेज, मोबाइल, नक्सली साहित्य बरामद किए गए थे. पुलिस ने उसे प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश में गिरफ्तार हाई प्रोफाइल लोगों से जुड़ा हुआ बताया था.
फिर भी मिल गई जमानत
अन ला फूल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट याने कि यूएपीए के तहत पुलिस ने गिरफ्तारी दर्शाई थी. इस एक्ट के लिए पुलिस को चालान प्रस्तुत करने के लिए सामान्य परिस्थिति में 90 दिनों का वक्त मिलता है.
विशेष परिस्थितियों में पुलिस के आग्रह पर 180 दिनों का समय उसे न्यायालय की अनुमति से दिया जाता है. एक ओर तो छत्तीसगढ़ पुलिस ने 90 दिनों के भीतर चालान प्रस्तुत नहीं किया तो दूसरी ओर निर्धारित अवधि में विशेष अनुमति भी नहीं ली. इस आधार पर विशेष न्यायालय ने जमानत दे दी.
अब मामले में भाजपा-कांग्रेस आमने सामने है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी कहते हैं कि प्रधानमंत्री की हत्या के षड्यंत्र में शामिल रहे लोगों से संपर्क रखने वाले व्यक्ति को किसके इशारे पर जमानत का रास्ता दिया गया है यह हर कोई जानता है.
कांग्रेस ने इस पर गहरी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. कांग्रेस के महामंत्री शैलेष नितिन त्रिवेदी कहते हैं कि जब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी थी तब माओवाद तीन ब्लाक तक सीमित था. पन्द्रह साल के कुशासन के दौरान यह चौदह जिलों तक फैल गया. छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद के विस्तार के लिए भाजपा सरकार भी जिम्मेदार है.
बहरहाल इन सब के बीच पीछे यह मुद्दा छुट जाता है कि वेंकटराव को जमानत किस आधार पर मिली? बताया तो यहां तक जाता है कि पुलिस के पास उसके खिलाफ कोई सबूत ही नहीं थे तो वह कहां से उसे पेश करती.