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रायपुर.
तत्कालीन कलेक्टर व हालिया नेता ओपी चौधरी फिर विवादों में फंस गए हैं. इस बार उन पर एक महिला की जमीन के संबंध में सरकार गलत जानकारी देने का मामला सामने आया है. प्रकरण हाईकोर्ट तक पहुंच गया था.
उल्लेखनीय है कि मामला तुलसीनगर क्षेत्र का है. श्रीमति दुर्गादेवी गुप्ता को आपसी बंटवारे में 936 वर्ग फीट जमीन मिली थी. इस जमीन का मुआवजा दिए बिना नगर निगम ने 20 साल पहले सड़क का निर्माण कराया था.
हाईकोर्ट गया था मामला
बगैर मुआवजा सड़क निर्माण को लेकर हाईकोर्ट में दुर्गादेवी द्वारा रिट पिटीशन लगाई गई थी. हाईकोर्ट ने नगर निगम रायपुर को निर्देशित किया था कि या तो वह मुआवजा दे या फिर सड़क उखाड़कर उक्त जमीन महिला को वापस लौटाए.
बताया जाता है कि निगम प्रशासन ने मुआवजा देने से इंकार कर दिया था. तब हाईकोर्ट ने जमीन लौटाने का आदेश पारित किया. इस पर निगम ने कांक्रीट रोड को तोड़कर जमीन का कब्जा लौटा दिया.
महिला का तर्क यह था कि उक्त जमीन पर वह मकान नहीं बना सकती क्योंकि यह आम रास्ता बन गया है. इसी के चलते वह इस जमीन को बेच भी नहीं सकती है. इसके चलते ऐसी स्थिति में उसे मुआवजा दिया जाना चाहिए.
कलेक्टर रहते हुए क्या गलती की थी चौधरी ने?
दुर्गादेवी ने जमीन के मुआवजे के लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. पूर्ववर्ती सरकार के समय से वह लड़ते आ रही है. उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह को इस संबंध में ज्ञापन सौंपा था.
तत्कालीन मुख्यमंत्री ने 1 मार्च 2017 को तत्कालीन कलेक्टर ओपी चौधरी को प्रकरण की जांच कर इसे निराकृत करने लिखा था. कलेक्टर की व्यस्तता देखिए कि ओपी चौधरी ने बगैर बी-1 में नाम देखे यह लिख कर दिया था कि जमीन आवेदिका दुर्गादेवी गुप्ता के नाम पर नहीं है.
रिश्तेदारों के नाम पर जमीन बताते हुए मुआवजा का प्रतिवेदन समय सीमा से विलोपित करने का आदेश ओपी चौधरी द्वारा पारित कर दिया गया था. दुर्गादेवी को उक्त जमीन खसरा नंबर 645, पहन-107 ग्राम गुढिय़ारी आपसी बंटवारे में मिली थी. बी-1 में उनका नाम भी दर्ज है.
चौधरी ने गुमराह किया था
बताया जाता है कि ओपी चौधरी ने शासन को यह कहकर गुमराह किया था कि भूस्वामियों द्वारा कोई आपत्ति नहीं की गई थी. जबकि बताते हैं कि नगर निगम द्वारा 20 वर्ष पूर्व सरकारी जमीन मानकर सड़क निर्माण कराया गया था तो आपत्ति की गई थी.
चूंकि दुर्गादेवी गुप्ता मूलत: उत्तरप्रदेश में रहती है इसकारण यहां रहने वाले उनके भाइयों ने निगम प्रशासन के समक्ष आपत्ति दर्ज कराई थी. और तो और उनके द्वारा मुआवजा देने की मांग भी की गई थी. इन मांगों को निगम प्रशासन नजरअंदाज करते रहा था.
अब इस मामले पर वार्ड पार्षद अन्नूराम साहू भी सक्रिय हो गए हैं. इसके लिए उनके द्वारा आयुक्त, महापौर सहित रायपुर पश्चिम विधायक विकास उपाध्याय को आम लोगों के द्वारा हस्ताक्षरित एक ज्ञापन सौंपा गया है.
वे कहते हैं कि इसी जगह पर पानी की पाइपलाइन बिछाने की स्वीकृति मिली है. चूंकि हाईकोर्ट का आदेश है इसके चलते उक्त जमीन पर कोई काम नहीं किया जा सकता है. रास्ता बंद होने से आम लोगों को 2 किमी अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है. हजारों लोग परेशान हो रहे हैं.
जनहित में महिला को मुआवजा दिलाने और जमीन को यथावत रखने का अनुरोध उनके द्वारा किया गया है. इधर ओपी चौधरी से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उनका मोबाइल कवरेज क्षेत्र से बाहर बताते रहा.