प्रधानमंत्री द्वारा आर्थिक आधार पर सवर्णो को आरक्षण देने के बाद मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 फीसद कर दिया है. इसे उनका ऐसा हथियार बताया जा रहा है जिसकी काट ढूंढने में भाजपा को परेशानी हो रही है. दरअसल प्रदेश की 29 में से 10 लोकसभा सीटों पर हार जीत का फैसला ओबीसी वोटर ही करते हैं. 8 सीटों पर 50 फीसदी से ज्यादा ओबीसी वोटर हैं. विंध्य की दो सीटों पर 48 फीसदी आबादी ओबीसी की है. ओबीसी फैक्टर प्रभावित सीटों में भोपाल सहित रीवा, सतना, मंदसौर, सागर, होशंगाबाद, खंडवा, खजुराहो, दमोह, जबलपुर प्रमुख सीट हैं. पिछले चुनाव में आरक्षण कोई प्रमुख मुद्दा नहीं था लेकिन इस बार कमलनाथ ने इसे जीत का आधार बनाने की कोशिश की है.