भाजपा के दिग्विजय सिंह हो गए शिवराज ‘मामा’

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भोपाल.

प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की भूमिका राज्य में सीमित कर दी गई है. एक तरह से उन्हें भाजपा का दिग्विजय सिंह बना दिया गया है.

उल्लेखनीय है कि दिग्विजय सिंह को चुनावी दौरों के दौरान पार्टी के वोट कटने के चलते कांग्रेस ने सीमित कर दिया था. अब लगभग वही हश्र भाजपा के शिवराज सिंह चौहान का हो रहा है.

माई के लाल से हुआ था पार्टी को नुकसान

उल्लेखनीय है कि शिवराज सिंह ने तीन कार्यकाल तक मध्यप्रदेश सरकार का नेतृत्व किया था. तकरीबन चौदह वर्षों तक प्रदेश के मुखिया रहे शिवराज सिंह को भाजपा ने मध्यप्रदेश से बाहर रहने के निर्देश दिए हैं.

दरअसल शिवराज सिंह ने मुख्यमंत्री रहने के दौरान विधानसभा चुनाव के समय माई के लाल का उल्लेख करते हुए एक बयान दिया था जिससे भाजपा को चालीस सीटें गंवानी पड़ी थी. बयान आरक्षण पर आधारित था. इससे सवर्ण समाज भाजपा से बेहद रूष्ट हो गया था.

अब लोकसभा चुनाव के पूर्व में पार्टी आलाकमान ने शिवराज सिंह को निर्देश दिया है कि वह तीन दिन ही मध्यप्रदेश को दें बाकी समय देश में काम करें. शिवराज अपनी भूमिका को लेकर साफ करते हैं कि वह पूरा समय प्रदेश को नहीं दे पाएंगे.

शिवराज सिंह पर गाहे बेगाहे पार्टी के भीतर गुटबाजी को बढ़ावा देने का आरोप लगते रहा है. हालांकि सीएम बनने के बाद शिवराज ने न तो किसी को सत्ता में और न ही किसी को संगठन में आगे बढऩे दिया.

सत्ता का हर वो नेता सीमित कर दिया गया जिसकी लोकप्रियता बढ़ी. संगठन का हर वो पदाधिकारी निष्क्रिय कर दिया गया जिसे लोकप्रिय समझा गया. और तो और शिवराज सिंह अब प्रदेश में संगठन को स्वतंत्र रूप से काम भी नहीं करने दे रहे हैं ऐसी बात सुनाई देती है.

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