इंदौर-भोपाल से लड़ सकते हैं दिग्गी राजा

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भोपाल.

मध्यप्रदेश के दस साल तक मुख्यमंंत्री रहे दिग्विजय सिंह को लोकसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है. इसके लिए भोपाल व इंदौर क्षेत्र के नाम उभरे हैं. हालांकि दिग्गी राजा को तय करना है कि वह लोकसभा चुनाव किस सीट से लड़ेंगे.

प्रदेश में पन्द्रह साल के बाद कांग्रेस की सरकार बनीं है. इस नाते कांग्रेस को विधानसभा चुनाव जैसे नतीजे की उम्मीद लोकसभा चुनाव से भी है. हालांकि बड़े शहरों में कांग्रेस के पास जीतने लायक प्रत्याशियों का अभाव है. इसी के मद्देनजर दिग्विजय सिंह का नाम उभरा है.

1989 से भोपाल-इंदौर सीट हार रही कांग्रेस

मध्यप्रदेश के बड़े शहरों में भाजपा की तूती बोलती है. अकेले भोपाल व इंदौर लोकसभा क्षेत्र ऐसे हैं जहां से 1989 के बाद से कांग्रेस कोई चुनाव नहीं जीत पाई है.

यही स्थिति जबलपुर-ग्वालियर की भी है. 1996 से जबलपुर व 2009 से ग्वालियर सीट पर कांग्रेस हारती आ रही है. इन बड़े शहरों भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर को एक तरह से भाजपा ने अपना गढ़ बना लिया है. कांग्रेस इस गढ़ को हर हाल में भेदना चाहती है.

लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन फिर से इंदौर सीट से भाजपा उम्मीदवार हो सकती है. कांग्रेस को उनके खिलाफ कोई ठीक ठाक प्रत्याशी नहीं मिल पा रहा है. यही स्थिति भोपाल सीट की भी है. यहां पर भी कांग्रेस के पास उम्मीदवार की कमी है.

अब दिग्विजय सिंह को तय करना है कि वे भोपाल से लड़ेंगे अथवा इंदौर से. हालांकि अभी तक ऐसी कोई संभावना नहीं बनी है लेकिन उन्हें अंतिम समय में कांगे्रस प्रत्याशी घोषित कर सकती है.

इधर ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से लड़ते रहे हैं. इस बार भी वे वहीं से लड़ेंगे. पड़ोस की सीट ग्वालियर से कांग्रेस के पास जिताऊ प्रत्याशी का अभाव है. होशंगाबाद सीट से दावेदारी कर रहे रामेश्वर नीखरा को ग्वालियर से उतारा जा सकता है.

होशंगाबाद से एक अन्य दावेदार सुरेश पचोरी भी हैं. यदि लोकतांत्रिक जनता दल से कांग्रेस का गठबंधन हुआ तो शरद यादव जबलपुर से चौकाने वाला नाम होंगे.

बहरहाल लोकसभा चुनाव में महानगरों में भाजपा को हराना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. कांग्रेस मुख्यमंत्री कमलनाथ के चेहरे पर चुनाव लड़कर महानगरों में भाजपा को पछाडऩे का प्रयास कर सकती है.

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