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रायपुर.
आईपीएस अफसर गिरधारी नायक – डीएम अवस्थी के नाम पर मचे बवाल ने नौकरशाही को हिलाकर रख दिया है. जो भूल हो चुकी है उसे सुधारने के लिए माथा पच्ची की जा रही है. मामले को लेकर कोई भी कुछ भी बोलने से कतरा रहा है.
प्रदेश के वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा के 1984 बैच के अधिकारी गिरधारी नायक को उनके ही कनिष्ठ अधिकारी लेकिन प्रभारी पुलिस महानिदेशक 1986 बैच के दुर्गेश माधव अवस्थी के अधीन पदस्थ करने की भूल सरकार ने कर दी है. इस आदेश के बाद से भारी हड़कंप मचा हुआ है.
आदेश का प्रारुप तैयार करने वाले, आदेश पारित करने वाले अधिकारियों में इस हद तक घबराहट-हड़बड़ाहट है कि वे इस मामले में अपना मुंह तक नहीं खोल रहे हैं. खबरे हैं कि तंत्र में अंदरुनी तौर पर उथल-पुथल मची हुई है.
नायक-अवस्थी के नाम पर मचे बवाल का निपटारा करने बैठकें हो रही हैं. कनिष्ठ अधिकारी अपने वरिष्ठों को जिम्मेदार बताते हुए उनसे ही जवाब मांगने की बात कह रहे हैं.
प्रशासनिक सूत्रों से खबर निकल कर आ रही है कि इन दो आईपीएस अफसर्स के नामों पर टकराव की स्थिति ने आईएएस-एसपीएस अफसर्स को बैचेन कर दिया है.
इनसे जुड़े आदेश जारी करने की जल्दबाजी इतनी रही कि नियमसंगत-व्यवहारिक पक्ष को अधिकारियों ने नज़र अंदाज कर दिया. इस नज़र अंदाजी ने जो मुसीबत खड़ी कर दी है वो राज्य में सुर्खियां बन चुका है.
इस बारे में हमने गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव आरपी मंडल से बातचीत करने का प्रयास किया. मंडल ने स्वयं को दिल्ली में किसी बैठक में व्यस्त बताते हुए बाद में बात करने की बात कही.
इसी तरह गृह विभाग कि उप सचिव सुश्री लीना कमलेश मंडावी से हालिया स्थिति को लेकर सवाल पूछे गए तो उन्होंने अपने उच्च अधिकारियों से बात करने की बात कहकर फुर्ती से फोन काट दिया. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रशासनिक खेमे का अंदरुनी माहौल क्या है.