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रायपुर.
पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय के भ्रष्ट तौर-तरीकों के साथ ही भ्रष्टाचार को शह देने वाले अधिकारियों पर बन आई है. जनसंपर्क की कमान संभालते हुए आईएएस राजेश सुकुमार टोप्पो ने किस हद तक भ्रष्ट तौर-तरीकों को अपनाया था इसकी जानकारी सूचना का अधिकार से निकली है.
प्रदेश में पंद्रह साल तक काबिज रही भाजपा की सरकार को कांग्रेस ने अपदस्थ किया है. कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही नित नए घोटाले सामने आने लगे हैं. इस बार जिस विभाग की बात हो रही है उस विभाग की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री रहते हुए डॉ. रमन सिंह के हाथों में हुआ करती थी.
सीएम के ओएसडी पर क्यूं हुए मेहरबान?
आईएएस अफसर राजेश सुकुमार टोप्पो को चुनाव के समय अचानक विवादों में घिर जाने के चलते हटा दिया गया था.
दरअसल, सुकुमार टोप्पो ने जो खेल पत्रकारों अथवा जनसंपर्क से जुड़े लोगों के साथ खेला था वह कदापि सही नहीं कहा जा सकता है. टोप्पो ने पत्रकारों की सीडी बनाने का एक तरीके से ठेका दे दिया था.
बहरहाल, अभी बात हो रही है घोटाले की. टोप्पो ने सरकारी पैसे पर यात्राएं और फाईव स्टार होटल में ठहरने के कृत्य को अंजाम तो दिया ही बल्कि पूर्व मुख्यमंत्री के ओएसडी रहे अरुण बिसेन की आवभगत में भी सरकारी खजाने से धन लुटाया.
सूचना का अधिकार के तहत मिली जानकारी के मुताबिक अरुण बिसेन ने सरकारी खर्चे पर रायपुर से दिल्ली, दिल्ली से अमृतसर आने जाने के लिए हवाई यात्राएं की थी. इन यात्राओं का इंतजाम राजेश सुकुमार टोप्पो ने किया था.
सदगुरु टे्रवल्स के माध्यम से यह यात्राएं हुई थीं. जानकारी अनुसार 2016 में 26 और 27 अक्टूबर को की गई इन यात्राओं पर 22 हजार 566 रुपए का खर्च आया था.
सामान्य प्रशासन विभाग के अंतर्गत आने वाले अरुण बिसेन की इन यात्राओं का खर्च न जाने क्यूं जनसंपर्क विभाग ने उठाया था. सूचना का अधिकार लगाने वाले उचित शर्मा पूछते हैं कि बिसेन जब संवाद के अधिकारी नहीं थे तो फिर क्यूं उनकी यात्राओं के बिल का भुगतान संवाद से किया गया?