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रायपुर.
बड़ा सवाल सामने है.. डॉ. पुनीत गुप्ता ने दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल के अधीक्षक पद से स्थानांतरण के तत्काल बाद इस्तीफा क्यूं सौंपा था? खबरें रहीं कि अंतागढ़ टेपकांड मामले में उनका नाम सामने आने के बाद उन्होंने यह फैसला लिया था. पर शायद, इससे जुड़ी सच्चाई अब सामने आई है.
दाऊ कल्याण सिंह अस्पताल में खरीदी और भर्ती घोटाला सामने आया है. यह घोटाला अस्पताल के तत्कालीन अधीक्षक डॉ. पुनीत गुप्ता के कार्यकाल का है. इस मामले में डॉ. पुनीत गुप्ता पर गंभीर आरोप लगे हैं.
कोई दो मत नहीं कि अपनी नई पदस्थापना के साथ ही डॉ. गुप्ता भांप चुके थे कि उनके कार्यकाल की खामियां उजागर होने वाली हैं. उस पर नई सरकार सत्ता संभाल चुकी थी. भाजपा शासन के दौरान उन्हें यह पदस्थापना मिली थी. वे पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के दामाद हैं.
किसने सामने लाई सच्चाई
कांग्रेस सरकार के आते ही पूर्ववर्ती सरकार के दौरान उपकृत किए गए नौकरशाहों को अपनी जगह बदलनी पड़ी. इसी क्रम में डॉ. पुनीत गुप्ता डीके अस्पताल अधीक्षक पद से स्थानंातरित कर मेकाहारा में बतौर ओएसडी पदस्थ किए गए थे.
इसी दौरान डीके अस्पताल के नए अधीक्षक डॉ. केके सहारे ने पदभार संभाला. उन्होंने ही इस मामले को सरकार के संज्ञान में लाया. खबर है कि कार्यालय से कुछ फाईलें गायब थीं जिन्हें लेकर भी सहारे ने सरकार को पत्र लिखा था.
दूसरी ओर अपनी पदस्थापना के तत्काल बाद डॉ. गुप्ता ने इस्तीफा सौंप दिया था. हालांकि उनका इस्तीफा अब तक स्वीकृत नहीं किया गया है.
तीन सदस्यीय कमेटी करेगी जांच
इधर, डॉ. गुप्ता के कार्यकाल के दौरान खरीदी और भर्ती में हुए घोटाले की जांच तीन सदस्यीय कमेटी को सौंपी गई है. इस कमेटी में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव एपी त्रिपाठी को जांच समिति का अध्यक्ष बनाया गया है.
वहीं विभाग की संयुक्त सचिव प्रियंका शुक्ला व चिकित्सा शिक्षा संचालनालय में पदस्थ उप संचालक रत्ना अजगले समिति में सदस्य बनाई गईं हैं. समिति को 9 बिंदुओं के आधार पर जांच कर 15 दिनों में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया है.