रायपुर।
जंगल में कभी छिपते और कभी बीमारी से जूझते रहने वाली खानाबदोश जि़ंदगी को छोड़कर कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। प्रदेश में ऐसे लोगों की तादात दो हजार से ज्यादा है। खुद की नई शुरुआत और शांतिपूर्ण तरीके से समाज के बीच जीवन यापन करने की मंशा रखने वाले इन लोगों की मदद सरकार ने भी की है। इसके लिए अब तक एक करोड़ 45 लाख रुपए लगभग खर्च किए।
सरकार ने आत्मसमर्पित नक्सलियों के जो आंकड़े जारी किए हैं उन्हें देखकर एक नई आशा भी बंधती है कि जंगल से घिरे रहने वाले लोग भी अब मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं। जो आंकड़े सामने आए हैं उनके मुताबिक साल 2014-15 में 453, 2015-16 में 621 नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार डाल दिए थे। लेकिन वर्ष 2016-17 के आंकड़े इससे कहीं ज्यादा आगे हैं। इस समयावधि में एक हजार से ज्यादा किसानों ने आत्मसमर्पण किया। कुलमिलाकर पिछले तीन साल के आंकड़ों पर गौर करें तो 2123 लोगों ने माओवादियों की विचारधारा से किनारा कर लिया।