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रायपुर.
कैग की रिपोर्ट सामने आने के साथ ही पूर्ववर्ती सरकार की कलई खुल चुकी है. लेकिन कई और भी ऐसे मामले हैं जो छिपे हुए हैं. हाल में नया मामला सामने आया है एक उद्योग को मिली उस छूट का जिसका वो कतई हकदार नहीं था. मामला पांच हजार करोड़ का है.
उद्योग विभाग और वाणिज्यकर विभाग की मिली भगत का फायदा तत्कालीन भाजपा सरकार के करीबी उद्योगपतियों ने पात्रता नहीं होने के बाद भी करमुक्ति और स्व विवेक कर के नाम पर पांच हजार करोड़ का सरकार को चूना लगाया गया।
इस घोटाले का भांडाफोड़ आरटीआई के तहत मिली जानकारी से हुआ है। उक्त जानकारी अब्दुल वाहिद को सूचना के अधिकार से मांगने पर मिली है। मामला उजागर होने से भाजपा सरकार के भ्रष्ट्राचारियों में हडकंप मच गया है.
इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार आरटीआई कार्यकर्ता अब्दुल वाहिद को सूचना के अधिकार के तहत जनसूचना अधिकारी उपायुक्त संभाग वाणिज्यकर जीएसटी भवन सिविल लाइन ने जानकारी दी है कि कर मुक्ति प्रमाण पत्र मेसर्स इस्पात गोदावरी लिमिटेड सिलतरा जिसका टीन नंबर 22361404053 है, ने नोटिफिकेशन के आधार पर लाभ उठाया है।
उद्योग विभाग व्दारा जारी किया गया प्रमाण पत्र 19/9/2002, 21/9/2005, 7/4/2007, 18/7/2007, 23/10/2008, 4/2/2013 की जानकारी मांगी गई थी, वहीं मेसर्स छग इलेक्ट्रीसिटी कंपनी लिमिटेड वर्तमान में शारदा एनर्जी एंड मिनीरलर्स लिमिटेड सिलतरा जिसका टीन नंबर 22031400209 ने कर मुक्ति नोटिफिकेशन के आधार पर कर मुक्ति का लाभ उठाया है। शारदा एनर्जी को 12/9/2003, 23/5/2007, 13/10/2008, 24/2/2009 फर्जी नोटिफिकेशन के आधार पर कर मुक्ति का लाभ दिया गया।
सूचना के अधिकार से मिली जानकारी में यह जानकारी मिलती है कि दोनों तथाकथित कंपनियों को लूट की छूट अधिकारियों ने दी है। अधिकारियों ने ही कर चोरी का रास्ता दिखाया कि किस तरह सरकार को चूना लगाया जा सकता है। जब दोनों कंपनियों को रास्ता मिल गया तो यह लूट बदस्तूर 15 वर्षो से जारी रहा, जिसमें सीधे तौर पर सरकार को पांच हजार करोड़ का फटका लगाया गया।
नाम बदला और मिल गई छूट
शारदा एनजी और गोदावरी पावर ने कूटरचना कर पिछले 15 सालों में तीन-तीन बार नाम बदल कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाया है। जिसका प्रमाण उनके स्वयं के पंजीयन प्रमाण पत्र में उल्लेख है। पंजीयन प्रमाण पत्र हासिल करने के बाद जिसकी जमीन ली उसे नौकरी देना ता उस नियम का बी पालन नहीं किया। जिन किसानों ने जमीन दी वे आज भी रोजगार के लिए चक्कर काट रहे है लेकिन उन्हें रोजगार नहीं मिला। वे जमीन देकर ठगा महसूस कर रहे है।
इस संबंध में ज्ञात हो कि मेसर्स शारदा एनर्जी एंड मिनरल्स लि. फेरो डिवीजन सिलतरा व्यवसायी निर्माता है उनके द्वारा फेरो एलायज जैसे सिलिको, मैग्जीन, पेरो, मैग्जीन, फेरो क्रोम का निर्माण कर विक्रय का व्यवसाय किया जाता है, साथ ही पावर जनरेशन, वायर राड, प्लाईएश ब्रिक्स का निर्माण कर विक्रय किया जाता है।
चारों तिमाही विवरणी प्रस्तुत पात्रता प्रमाण पत्र से भिन्न माल के विक्रय पर देय मासिक कर नियमानुसार जमा है या नहीं प्रारूप -5बी, एवं प्रारूप 50 प्रस्तुत नहीं है। व्यवसायी एक पंजीयत कंपनी है, एक यूनिट स्पंज डिवीजन तथा दूसरा यूनिट स्टील डिवीडन के नाम से पृथक-पृथक पंजीयन प्रमाण पत्र धारक है, व्यवसायी को केंद्रीय करअधिनियम 1956 की धारा 9(2) सहपठित मूल्य संवर्धित कर अधिनियम की धारा 21(5) के अंगर्तत स्वविवेक से कर निर्धारिण के लिए पत्र जारी किया गया। पत्र का पालन में व्यवसायी की ओर से अधिवक्ता गोपाल कृष्ण तावनिया लेखापाल अजय वर्मा उपस्थित होकर उनके व्दारा प्रस्तुत दस्तावेजों की जांच की गई ।
व्यवसायी को मूल कर मुक्ति पात्रता प्रमाण पत्र अधिसूचना क्रमांक 96 7/11/1997 के अंतर्गत पूंजी निवेश रुपए 32,36,16,702 का 150 प्रतिशत अथवा 1/11/2001 से 31 /10/2009 तक की अवधि के लिए जो भी पहले हो पात्रता प्रमाण पत्र आदेश करमांक 2003/188 24/2/2009 के अंतर्गत पूंजी निवेश 1,13,53,74,828 का 100 प्रतिशत अथवा 1/11/2011 से 31 /10/ 2012 तक अवधि के लिए जो भी पहले हो जारी किया गया। कर से मुक्ति पात्रता प्रमाण पत्र प्रांतीय कर निर्धारण प्रकरण में संलग्न है। केंद्रीय अधिनियम के प्रावधान अनुसार स्व निर्मित उत्पाद पर कर मुक्ति उस स्थिति में प्राप्त होती है जब अतंर्राज्यीय विक्रय से संबंधित निर्धारित घोषणा पत्र समर्थित विक्रय किया गया हो। बिना नियत घोषणा पत्र समर्थित विक्रय पर कर मुक्ति की पात्रता नहीं है।
कागज के दम पर ली लूट की छूट
अधिकारियों की मिली भगत से टैक्स चोरी का शार्टकट रास्ता निकाल कर सरकार को अपने उत्पाद और बिक्र ी संबंधी कागजी खाना पूर्ति की जिसे आँख मूंद कर सच मान लिया और उद्योगपतियों को करमुक्ति और स्वविवेक कर के दायरे में लाकर छूट दी। भाजपा सरकार में उद्योग विभाग और वाणिज्यकर के अधिकारियों पर उद्योगपतियों का इतना दबाव था कि वे भौतिक सत्यापन करने उत्पाद स्थल फैक्ट्री का निरीक्षण करने कभी नहीं गए। उद्योगपतियों ने जो कागज दिखाया उसे ही सच मान कर लूट की छूट दे दी गई।
उठाया करीबी होने का फायदा
इस मामले में जो तथ्य उजागर हुआ है उसमें सबसे ज्यादा आश्चर्यजनक बात यह है कि किसी भी विभाग ने उनके उत्पाद का भौतिक सत्यापन नहीं किया । उक्त कंपनी के मालिकों का भाजपा सरकार से करीबी होने के चलते छुट दी गई.कागजी जमाखर्च के आधार पर भाजपा सरकार के 15 सालों के कार्यकल में दोनों ही कंपनियों ने स्व विवेक कर निर्धारण और कर मुक्त के नाम पर पांच हजार करोड़ का सरकार को चूना लगाया है।