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रायपुर.
नागरिक आपूर्ति निगम व अंतागढ़ टेपकांड के बीच क्या कोई रिश्ता रहा है? यह सवाल इसलिए किया जा रहा है क्योंकि एमआरपी के नाम से कुछ ऐसी एंट्री नान की डायरी में मिली है जो कि अंतागढ़ से जुड़ी हुई बताई जाती हैं.
दरअसल प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के हजारों करोड़ रूपए के कथित घोटाले को जांच के दायरे में लिया गया है. इसी तरह अंतागढ़ का वह टेपकांड भी जांच में लिया गया है जो कि विधानसभा उपचुनाव के दौरान हुई प्र्रत्याशी की कथित खरीद फरोख्त से संबंधित है.
दोनों ही मामले पृथक तरीके से चल रहे हैं. लेकिन क्या दोनों मामले अलग अलग हैं? क्या दोनों के आरोपी अलग अलग है? क्या दोनों के बीच किसी तरह का कोई कनेक्शन नहीं है? क्या दोनों प्रकरणों में किसी तरह का कोई संबंध जोड़ा जा सकता है?
एफएस…एजे…एमआरपी मतलब?
प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि अंतागढ़ टेपकांड व नान के मामले की जांच में एक तथ्य उभर कर सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक यही तथ्य दोनों प्रकरणों को जोड़ रहा है.
उदाहरण बतौर एफएस यदि फिरोज सिद्दीकी है… एजे यदि अमित-अजीत जोगी है… तो क्या एमआरपी मतलब मंतूराम पवार नहीं हो सकता है क्या? नान की उक्त डायरी में कोडवर्ड में उल्लेखित यही वो शब्द हैं जो कि मामले को अंतागढ़ टेपकांड से जोड़ते हैं.
सूत्रों पर यदि विश्वास किया जाए तो डायरी में रूपयों के लेनदेन की भी जानकारी दर्ज है. ज्यादातर रूपए एफएस के नाम से दर्ज हैं. इन्हीं रूपयों को एमआरपी के नाम से आगे दर्शाया गया है.
अब जांच यदि इस दिशा में बढ़ती है कि क्या फिरोज व मंतूराम पवार के बीच वाकई कोई लेनदेन हुआ था अथवा दोनों के बीच लेनदेन से जुड़ी बात सत्य है तो फिर दो चार दिनों के भीतर चौंकाने वाले तथ्य सामने आ सकते हैं.