#नज़रिया/आशीष शर्मा
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प्रदेश की नई नवेली कांग्रेस सरकार को पुरानी दिक्कतों से जूझना पड़ रहा है. पुरानी समस्याओं के साथ पुराने अधिकारियों से भी दो-चार होने के बावजूद कांग्रेस सरकार के मुखिया भूपेश बघेल को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. आखिर वह कौन अधिकारी है जो इस तरह के क्रिया कलाप में लगा हुआ है?
छत्तीसगढ़ में 15 साल तक भाजपा ने एकतरफा राज किया है. 2003 के बाद सेवा में आए हुए अधिकारियों में से ज्यादातर भाजपाई मार्इंडेड माने जाते रहे हैं. लेकिन, यहां यह बात महत्वपूर्ण है कि कई अफसर ऐसे हैं जिन्होंने भाजपा के पहले कांग्रेस का भी शासन काल देखा है.
एसीबी के सेल्फ से किसने निकाले पन्ने..!
अब आते हैं अपनी मूलभूत चर्चा पर. नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए तथाकथित घोटाले ने प्रदेश की राजनीति को हिलाकर रखा हुआ है. पूर्व मुख्यमंत्री व उनके परिजनों से जुड़े हुए इस कथित मामले पर कांग्रेस बेहद आक्रमक रही थी और है भी.
इधर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह इसे क्यूंकर बदलापुर की कार्रवाई ठहराते हैं यह आने वाले दिनों में नेशन अलर्ट आपको बताएगा लेकिन, यहां सवाल इस बात का है कि एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) की सेल्फ में छिपाकर रखे गए उस डायरी के पन्ने कैसे और किस तरह खबर का हिस्सा बन गए.
ज़रा सा पीछे जाईए.. भूपेश सरकार ने अभी चंद घंटों पहले ही आईपीएस एसआरपी कल्लूरी को एसीबी-ईओडब्लू में आईजी के पद पर पदस्थ किया था. तब से यह मसला रायपुर से लेकर दिल्ली तक मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच बहस का विषय है कि क्यूंकर कल्लूरी पर कांग्रेस सरकार मेहरबान हुई है?
देश-प्रदेश के पत्रकारों के अलावा मानवाधिकार संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया पर कल्लूरी की इस तरह की नियुक्ति पर कई गंभीर सवाल उठाए हैं. उन सवालों की गंभीरता से हम भी इत्तेफाक रखते हैं. लेकिन यहां बात महज इत्तेफाक की नहीं है.
कोई तो ऐसा अधिकारी है जो कल्लूरी की आड़ में भूपेश सरकार को बदनाम करने की साजिश रच रहा है. जब आज दिनांक तक नान घोटाले के वो तथाकथित नाम सार्वजनिक नहीं हो पाए थे जो कि आज अखबारों की सुर्खियां बन रहे हैं तो आज यह कैसे हुआ?
या तो एसीबी की वह सेल्फ सिक्योर नहीं रह गई है अथवा उसे जानबूझकर खंगालने का प्रयास हो रहा है. प्रशासनिक मामलों के जानकार बेहद अच्छे से जानते हैं कि किसी भी सरकार के लिए इस तरह के विषय किस हद तक महत्वपूर्ण होते हैं.
ऐसे महत्वपूर्ण विषयों पर इस तरह की अखबारबाजी अमूमन नहीं होती है लेकिन छत्तीसगढ़ में यह सबकुछ हो रहा है. कहीं न कहीं एसीबी में कल्लूरी साहब की नियुक्ति से उनके ऊपर अथवा नीचे के लोगों को कोई बहुत बड़ी परेशानी है.
तभी तो इस तरह की साजिश रची जा रही है. हम कल्लूरी साहब का कहीं समर्थन नहीं करते हैं. चूंकि उन पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप हैं इस कारण उन्हें कानून सम्मत सजा मिलनी ही चाहिए लेकिन यहां पर वह बिना वजह टारगेट हो रहे हैं.
दरअसल, कल्लूरी की आड़ में खेल कोई और खिलाड़ी खेल रहा है. इस खिलाड़ी को इस बात का एहसास है कि कल्लूरी को सामने रखकर वह इस तरह की खबरों को प्रकाशित करवा सकता है.
यह अधिकारी यह भी जानता है कि यदि सरकार ने पतासाजी करने की ठानी भी तो उस तक बात नहीं आ पाएगी. लेकिन यह अधिकारी यह भूल जाता है कि अब तक एसीबी की जिस सेल्फ में ये सारे कागज रखे थे उस सेल्फ की चाबी तो इसी अफसर के हाथ में थी…