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रायपुर.
कल्याण समिति ने सभी जिलों से पुलिस विभाग के कर्मचारियों के लिए कुल 17 बिंदुओं पर अभिमत मांगे हैं. इन बिंदुओं पर नज़र दौड़ाएं तो हैरानी होती है कि भरी महंगाई में एक पुलिस कर्मचारी को भोजन के लिए महज 75 रुपए दिए जाते हैं.
पुलिस कर्मचारियों को मिलने वाले भत्ते और सुविधाएं की स्थिति बेहद दयनीय है. ये सब तब सामने आ रहा है जब छत्तीसगढ़ शासन ने पुलिस कर्मचारियों की मूलभूत समस्याओं में सुधार को लेकर समिति गठित की है.
इस समिति ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षक व सेनानियों से विभिन्न बिंदुओं पर अभिमत मांगा है. इनमें उल्लेखित बिंदुओं से तय है कि वाकई इसमें सुधार की जरुरत एक लंबे समय से थी पर अब तक ऐसा हो न सका था.
पुलिस कर्मियों को फ्री फूड के लिए 30-30-15 की दर से भुगतान किया जाता था. आश्चर्य है कि इतनी कम राशि को बढ़ाने अब तक कोई पहल नहीं की गई थी. बहरहाल अब इसे 80-80-40 रुपए करने की पहल की जा रही है. इस तरह से जिन पुलिस कर्मियों को फ्री फूड के लिए 75 रुपए मिलते थे उन्हें 2 सौ रुपए मिलेंगे.
तनाव से निपटने होंगे प्रयास
पुलिस कर्मियों के लिए सबसे बड़ी समस्या मानसिक तनाव होता है. बावजूद इसके अब तक पुलिस कर्मियों की इस समस्या से निपटने के लिए कोई प्रयास नहीं किए गए थे.
जिन बिंदुओं को पुलिस कल्याण समिति ने अपनी सूची में जगह दी है उसमें यह भी एक है. इसमें प्रत्येक जिले में पुलिस अस्पताल शुरु किए जाने के विषय पर अभिमत मांगा गया है.
इस अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ, मनोवैज्ञानिक, फिजिशयन, फिजियोथैरेपिस्ट की सुविधाएं शामिल किए जाने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही पुलिस कर्मियों के तनाव कम करने व फिटनेस के लिए ईकाई स्तर पर जिम, योगा, मेडिटेशन संचालित करने की भी बात कही गई है.
महिलाओं के लिए ट्रांजिट मेस
अभिमत के लिए भेजे गए आदेश में एक और बात जो चुभती है वह महिला पुलिस कर्मियों से जुड़ी हुई है. सुझाव मांगा गया है कि प्रत्येक जिला मुख्यालय में महिला ट्रांजिट मेस बनाया जाएगा. इसमें यह विषय भी शामिल है कि प्रत्येक थानों में महिला प्रसाधन की व्यवस्था पुलिस बजट से होगी. इससे साफ है कि थानों में प्रसाधन के लिए अब तक ऐसी कोई पृथक व्यवस्था नहीं थी.
मिलेंगे आईटी और विधि अधिकारी
पुलिस कल्याण समिति के इस मांगे गए अभिमत प्रस्ताव में कहा गया है कि प्रत्येक थाने से एक आरक्षक का पद सरेंडर कर सूचना प्रौद्योगिकी अधिकारी का पद सृजित किया जाएगा. इसके अलावा उप निरीक्षक का पद सरेंडर कर उसे जिला पुलिस अधीक्षक केे कार्यालय में विधि अधिकारी के तौर पर पदस्थ किए जाने का भी प्रस्ताव इसमें शामिल है.