रायपुर।
बिलासपुर स्थित सीवी रमन विश्वविद्यालय द्वारा फर्जी डिग्री बांटने की कोई शिकायत विभाग को नहीं मिली है। यदि मिलेगी तो जांच करेंगे। यदि आप कह रहे हैं तो यह मामला कानूनी है और पुलिस में शिकायत की जा सकती है, इसमें विभाग क्या करेगा।
उक्त बातें उच्च शिक्षा मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय ने विधानसभा में कही। वे ध्यानाकर्षण के दौरान विधायक शिवरतन शर्मा को जवाब दे रहे थे। बिलासपुर जिले के कोटा स्थित डॉ.सीवी रमन विश्वविद्यालय द्वारा पाठयक्रमों की अनुमति बगैर फर्जी डिग्री बांटने के मामले में सत्ता पक्ष के विधायक शिवरतन शर्मा तथा देवजी भाई पटेल ने ध्यानाकर्षण के माध्यम से उच्च शिक्षा मंत्री से कार्यवाही की मांग की।
इस पर हुई बहस
विधायक शिवरतन शर्मा ने कहा कि बगैर अनुमति के उक्त विश्वविद्यालय में पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने सवाल किया कि निजी विश्वविद्यालय को पाठ्यक्रम चलाने की अनुमति कौन देता है? मंत्री ने कहा कि नियामन आयोग की सिफारिश पर राज्य शासन अनुमति देती है। वर्तमान में सीवी रमन विवि में 55 पाठ्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। विधायक शर्मा ने कहा कि उक्त विश्वविद्यालय में लंबे समय से फर्जी डिग्री व अंकसूची का बांटने का खेल चल रहा है। लाख-डेढ़ लाख में बांटी जा रही है।
7 फर्जी डिग्री का प्रमाण
पूरक प्रश्न में शर्मा ने पूछा कि वर्ष 2011-12,13-14 में किन पाठ्यक्रम की अनुमति दी गई थी। मंत्री ने बताया कि एमएसी कैमेस्ट्री, बी.लीफ की अनुमति दी गई थी। इस पर शर्मा ने कहा कि उक्त समयावधि में अनुमति दी गई तो पहले ही डिग्रिया कैसे बांट दी गई, कोर्स शुरू होने के पहले ही 7 लोगों को डिग्री बांटी गई, जिसका प्रमाण मेरे पास है। कार्यवाही की मांग की गई। जिस पर उच्च शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट कहा कि शिकायत नहीं हुई है। इस पर विधायक शर्मा ने कहा कि मैं स्पीकर की अनुमति पर प्रमाण सदन के पटल पर रखने तैयार हूं, जांच कराने का आश्वासन देंगे क्या? मंत्री ने कहा कि यह क्रिमिनल मामला है, पुलिस में शिकायत करें।
विधायक देवजी भाई पटेल ने पूछा कि राष्ट्रीय अध्यापक परिषद से अनुमति ली गई थी क्या ? जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि एमएससी कैमेस्ट्री के लिए अनुमति लेना जरूरी नहीं है। विधायक पटेल ने कहा कि विधायक शर्मा ने काफी कुछ पूछ लिया जांच होगी क्या ? मंत्री ने कहा कि पुलिस में शिकायत करें। विधायक पटेल ने कहा कि थाना गोलबाजार में 32 शिकायत हुई है, जांच तो चल ही रही है। क्या कार्यवाही की जाएगी?
ये है पूरा मामाला
ध्यानाकर्षण में विधायक द्वय ने बताया कि प्रदेश के निजी विश्वविद्यालय द्वारा फर्जी डिग्री बांटने का खेल लंबे समय से चल रहा है। सीवी रमन विवि द्वारा जिन पाठयक्रमों को चलाने की अनुमति जून 2011 में प्राप्त हुई, लेकिन 2010-11 में ही डिग्रिया प्रदान कर दी गई। उक्त डिग्री के आधार पर बहुत से लोगों का बिलासपुर जिला पंचायत के माध्यम से नौकरी में चयन भी कर लिया गया। 2016 में उक्त विवि को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से मान्यता नहीं मिली किन्तु विवि की वेबसाइट पर मान्यता प्राप्त होना दिखाया जा रहा है।
00 वक्तव्य में क्या कहा मंत्री ने:
छत्तीसगढ निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग से प्राप्त जानकारी के अनुसार 2010-11 से 2015-16 तक ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है। राज्य में किसी विश्वविद्यालय की स्थापरना राज्य विधानसभा में पारित विधेयक के तहत् किया जाता है एवं एस संबंध में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की कोई भूमिका नहीं होती है। विश्वविद्यालय की वेबसाइट में क्या है ? यह औचित्यहीन है। ऐसा कोई प्रमाणिक तथ्य विभाग के संज्ञान में नहीं है।