नेशन अलर्ट/रायपुर।
तमाम तरह के राजनीतिक हथकंडे अपनाने के बावजूद प्रदेश में भाजपा की चौतरफा हार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) गंभीरता से ले रहा है. वह डैमेज कंट्रोल करने में जुट गया है. संभवत: इसी के चलते आरएसएस ने नेता प्रतिपक्ष पद के लिए भाटापारा के विधायक शिवरतन शर्मा का नाम तय कर रखा है.
भाजपा के तमाम तरह के दावे-प्रतिदावे के बीच जो नतीजा ईवीएम से निकलकर बाहर आया है उसने भाजपा से कहीं ज्यादा संघ की नींद उड़ा दी है. संघ इसलिए भी चिंताग्रस्त है क्यूंकि चंद महिनों के बाद ही देश को लोकसभा के चुनाव का सामना करना है.
संघ की प्राथमिकता में देश की सत्ता पर कायम होना महत्वपूर्ण रहा है. वह भी पूर्ण बहुमत की सरकार संघ के इतने साल के परिश्रम के बाद इस बार आई है. संघ कदापि नहीं चाहता कि चंद महिनों में होने वाले चुनाव के दौरान उसे राष्ट्रीय स्तर पर शह और मात के खेल में चूकना पड़े. इसी के मद्देनजर उसने एक ऐसा नाम नेता प्रतिपक्ष के लिए तय कर रखा है जो कि कई दृष्टिकोण से उसके लिए लाभप्रद है.
सवर्ण समाज को वापस लाने की कोशिश
इस बार केंद्र सरकार के एक फैसले से सवर्ण समाज भाजपा से छिटक गया है. एससी-एसटी एक्ट में किए गए संशोधन ने सवर्ण समाज को इस हद तक उद्वेलित किया कि वह अपनी पहली पसंद वाली पार्टी भाजपा के ही खिलाफ वोट करने उतारु हो गया.
संघ ने इस चीज़ को लेकर पहले भी भाजपा को चेताया था और चुनाव के नतीजे आने के बाद वह सवर्ण समाज को साधने की कोशिश में जुट गया है. भले ही छत्तीसगढ़ में डॉ. रमन सिंह, अजय चंद्राकर अथवा बृजमोहन अग्रवाल जैसे भारी-भरकम नाम नेता प्रतिपक्ष बनने की दौड़ में शामिल हैं लेकिन संघ इस बार सीधे तौर पर शिवरतन शर्मा के पक्ष में नज़र आ रहा है.
संघ के विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि शिवरतन शर्मा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने का फैसला कर सह संगठन मंत्री को खबर कर दी गई है. बताया तो यह भी जाता है कि वहां से यह खबर भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी तक पहुंचाई जाएगी. राष्ट्रीय भाजपा को शिवरतन शर्मा को नेता प्रतिपक्ष बनाए जाने में संभवत: कोई बहुत ज्यादा परेशानी भी नहीं होगी. यदि ऐसा होता है तो भाजपा की राज्य की राजनीति में दुर्ग व बिलासपुर संभाग के बाद पहली बार रायपुर संभाग का वजन बढ़ेगा.