नेशन अलर्ट/रायपुर।
राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव में मतदाताओं को लुभाने के लिए बड़ी तादाद में शराब की खेप पहुंचाई जा रही है। इस बड़े खेल में बड़े-बड़ों के हाथ फंसे हुए हैं। शासकीय शराब दुकानों का भी इसमें बड़ा रोल रहा। अब इस मामले में चुनाव आयोग की गाज गिर सकती है। शराब के अवैध परिवहन और राजनीतिक दलों द्वारा इसके उपयोग की शिकायत चुनाव आयोग से की गई है।
9 नवंबर को हुई शिकायत में डिस्लरीज की भूमिका को संदिग्ध बताया गया है। शिकायती पत्र में जानकारी दी गई है कि डिस्लरीज ने सरकारी शराब दुकानों तक परमिट से ज्यादा शराब पहुंचाई। यही शराब राजनीतिक दलों को बांटने के लिए मिली। राजनीतिक दलों और डिस्लरीज के बीच दुकानों का भी अहम किरदार रहा जहां पहले शराब की खेप डंप की गई और फिर उसे राजनीतिक दलों के हवाले किया गया।
दावा यह भी किया गया है कि चुनाव के दौरान शराब दुकानों में तय सीमा या फिर जो स्टॉक दिखाए गए हैं उससे ज्यादा बोटलें वहां मौजूद हैं। दिलचस्प यह भी है कि शिकायत में उल्लेख है कि, मतदाताओं को पर्ची बांटी गई है जिसे दिखाकर वे शराब दुकान से शराब लेंगे।
वेयर हाऊस भी निशाने में
भारत निर्वाचन आयोग से की गई इस शिकायत में वेयर हाऊस पर भी संदेह जताया गया है। उल्लेख किया गया है कि वेयर हाऊस में भी काफी बड़ी तादाद में शराब की वो खेप मौजूद है जो राजनीतिक दलों को दी जानी है। इस अवैध परिवहन पर लगाम के लिए आयोग से वेयर हाऊस की जांच किए जाने की मांग भी की गई है।
कोरबा में अवैध शराब को वैध बताया था
इस शिकायत के लिए कोरबा में पकड़ी गई शराब के मामले को तथ्य बतौर इस्तेमाल किया जा सकता है। कोरबा में 10 नवंबर को बिना होलोग्राम व बगैर बारकोड के ले जाई जा रही शराब की बड़ी खेप पकड़ाई। शराब के इस परिवहन को कोरबा की आबकारी उपनिरीक्षक सोनल अग्रवाल ने वैध बताया था।
जबकि जिला आबकारी अधिकारी मंजू श्री ने इस मामले की पोल खोल दी। उन्होंने इसे अवैध परिवहन मानते हुए ड्रायवर, मैनेजर सहित ट्रक व उसमें लदी 800 पेटी शराब को पुलिस के सुपुर्द कर दिया था। हालांकि इसके बाद सोनल अग्रवाल को निलंबित कर दिया गया और उन्हें रायपुर अटैच कर दिया गया। यह कार्रवाई प्रदेश निर्वाचन आयोग के निर्देश पर की गई है। हालांकि अब कांग्रेस ने भी इस मामले में मोर्चा खोलते हुए इसकी एक शिकायत चुनाव आयोग से की है।