नेशन अलर्ट/रायपुर।
नए नवेले सर्वे ने एक बार फिर राजनीतिक दलों के साथ-साथ लोगों को चौंकाया है। जहां दावा किया जा रहा था कि छत्तीसगढ़ में इस बार कांग्रेस का पलड़ा भारी है वहीं अब नई सर्वे एजेंसी नए आंकड़े लेकर आ गई है.. लेकिन क्या आंकड़ें सहीं हैं? क्या चैनल की प्रतिष्ठा दांव पर नहीं लगी है। बात दरअसल, उस एबीपी न्यूज़ चैनल की हो रही है जिसने दो अलग-अलग एजेंसियों के सर्वे अभी हाल-फिलहाल दिखाए थे और जिसमें भारी अंतर है।
एबीपी न्यूज़ चैनल की ओर से दिखाए गए सर्वे में दावा किया जा रहा है कि प्रदेश में फिर भाजपा रंग जमाएगी। ये आंकलन हाल ही में एबीपी-सीएसडीएस के सर्वे से निकलकर आया है लेकिन तथ्यों पर गौर करें तो अब बात इन सर्वे पर भी होनी चाहिए।
दरअसल, पहले एबीपी की ओर से सीवोटर नामक सर्वे एजेंसी ने सर्वे किया था और बाद में सीएसडीएस नामक एजेंसी का सर्वे आया। सर्वे के जानकार बताते हैं कि सीएसडीएस ने आज तक कोई चुनावी सर्वे नहीं किया था और अचानक उसका सर्वे चर्चा का विषय बन गया है। सीवोटर के यशवंत देशमुख देश में सर्वे का जाना-माना नाम है जबकि सीएसडीएस के संजय कुमार को बहुत कम लोग जानते हैं।
बहरहाल, पिछले कुछ चुनावों में एजेंसियों के आंकलन गलत साबित हुए हैं। फिर भी कुछ सर्वे एजेंसी हैं जिन्होंने अपनी विश्वसनीयता बनाए रखी है। सीवोटर इन्हीं में से एक एजेंसी है। कुछ समय पहले ही एबीपी-सीवोटर के आंकड़े भी सामने आए थे। इसमें जो आंकड़े थे उसे ज्यादा सटीक माना गया था।
वहीं अब सामने आए सर्वे को लेकर बहुत सारी बातें निकलकर आ रही है। सीवोटर की अपनी विश्वनीयता है। सी वोटर ने पहले भी चुनावों के आंकलन में अपने सटीक आंकड़े दिए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्यूं एबीपी को अपने साथ सर्वे करने वाली एजेंसी बदलनी पड़ी? ऐसा क्या था जो सी वोटर के आंकड़ों में जो खुद एबीपी अब उसे बदलने में तुली हुई है?
देखा जाए तो अचानक बदलने वाली इस स्थिति से ऐसे ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं। प्रदेश के राजनीतिक हालात भी इससे सीधे सीधे प्रभावित हो रहे हैं। पहले और अब के चुनावी आंकलन से काफी असमंजस वाली स्थिति बन गई है।