रायपुर।
कवि लक्ष्मण मस्तुरिया को माटी की महक और मानवीय संवेदनाओं से भरपूर उनके गीतों के जरिए आवाज की दुनिया का नायक बना दिया गया था। आज वही नायक हमारे बीच नहीं रहा। दरअसल, उन्हें दिल का दौरा पड़ा था जिस पर वह घर पर ही गिर पड़े थे। अस्पताल ले जाने पर चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मोर संग चलव रे, मोर संग चलव जी जैसे सदाबहारा गीत गाकर लक्ष्मण मस्तुरिया ने एक अलग पहचान बनाई थी। मस्तुरी की माटी में 7 जून 1949 को जन्मे लक्ष्मण चंदैनी गोंदा के मुख्य गायक हुआ करते थे। छत्तीसगढ़ के ख्ेात-खलिहान, मजूर-किसान के जीवन संघर्ष को अपने गीतों में पिरोने वाले लक्ष्मण मस्तुरिया ने बाद में लोक-सुराज नाम से एक सांस्कृतिक दल बनाके गाना गाया था।
लोककवि व साहित्यकार लक्ष्मण मस्तुरिया बीते कई दिनों से बीमार चल रहे थे। वो वायरल फीवर से पीडि़त थे। शरीर दर्द व वायरल फीवर की शिकायत के बाद उनका उपचार स्थानीय स्तर पर किया जा रहा था लेकिन आज उन्होंने अपने चाहने वालों का साथ छोड़ दिया।