मुख्यमंत्री व परिवार पर 5 हजार करोड़ लूटने का आरोप

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नेशन अलर्ट/रायपुर।

आक्रामक हुई कांग्रेस ने आज छत्तीसगढ़ में चिटफंड घोटाले का खुलासा कर भूचाल ला दिया है। पश्चिम बंगाल में भूचाल ला चुके चिटफंड घोटाले का जिन्न अब छत्तीसगढ़ आ धमका है। मुख्यमंत्री, उनके परिवार, कई मंत्रियों पर 5 हजार करोड़ रुपए के चिटफंड घोटाले में हिस्सेदार होने के आरोप लग रहे हैं। वास्तविकता है कि चिटफंड घोटाले में करीब एक करोड़ लोग ठगे गए। औसतन कहा जाए तो ये प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 33 फीसद होता है।

चिटफंड घोटाले के जख्म अब भी लोगों के चेहरे पर हैं। इसे लेकर कांग्रेस जो आंकड़े सामने लेकर आई है वो सरकार की बत्ती गुल कर देंगे। कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया पैनलिस्ट मुख्य प्रवक्ता व मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के जयवीर शेरगिल ने आज राजधानी में चिटफंड घोटाले से जुड़े कई तथ्यों को उजागर किया।

9 साल में 161 कंपनियों ने ठगा
कांग्रेस ने अपना पक्ष रखते हुआ कहा कि नौ सालों से भाजपा सरकार की नाक के नींचे 161 से अधिक चिटफंड कंपनियों ने एक करोड़ जनता (21 लाख परिवार) की कमाई और जमापूंजी गबन कर ली। बीस लाख निवेशक परिवारों व एक लाख एजेंटों से 5 हजार करोड़ रुपए से अधिक की ठगी हो गई। 57 लोगों की जानें चली गईं। 300 से अधिक एफआईआर दर्ज होने के बावजूद नौ साल में एक व्यक्ति को भी फूटी कौड़ी वापस नहीं मिली।

सीएम का पूरा परिवार दागदार
प्रवक्ताओं ने कहा कि इस गोरखधंधे में मुख्यमंत्री व सरकार का संरक्षण साफ-साफ दिखता है। खुद मुख्यमंत्री सहित उनके पुत्र सांसद अभिषेक सिंह, उनकी पत्नी श्रीमती वीणा सिंह, भाजपाई मंत्री, सांसद व प्रदेश के आला अधिकारी ‘रोजगार मेलों’ के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। सरकार द्वारा बकायदा इन कार्यक्रमों के निमंत्रण दिए गए। जनता को लगा कि भाजपाई सरकार इन चिटफंड कंपनियों की साझेदार है और जीवन की सारी कमाई इन घोटालों और गड़बड़झालों में लुटा दी।

कांग्रेस ने अपने तथ्य रखते हुआ कहा कि क्या यह सही नहीं कि मुख्यमंत्री, उनके बेटे सांसद अभिषेक सिंह, पत्नी वीणा सिंह, गृहमंत्री रामसेवक पैंकरा व अन्य मंत्री ऐसे रोजगार मेलों में मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल होते थे, जिससे इन कंपनियों को सरकारी संरक्षण के चलते जनता को लूटने की छूट मिली? क्या मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह व उनकी सरकार इसके लिए सीधे सीधे जिम्मेदार नहीं है?

प्रवक्ताओं ने आगे सवाल किया कि क्या कारण है कि सेबी व केंद्र सरकार द्वारा साल 2009 से साल 2014 के बीच चिटफंड कंपनियों पर पाबंदी लगाने के बावजूद छत्तीसगढ़ में इन कंपनियों की लूट का खेल सरकार की नाक के नींचे फलता फूलता रहा? क्या इससे भाजपा सरकार की संलिप्तता साफ ज़ाहिर नहीं होती?

क्या कारण है कि 9 साल में 161 चिटफंड कंपनियों पर 310 एफआईआर दर्ज होने के बावज़ूद गाढ़ी कमाई की लूटी हुई एक फूटी कौड़ी भी वापस नहीं आई? कांग्रेस ने दावा किया कि वे सरकार बनने पर इस मामले के जांच कराएंगे और मुख्यमंत्री सहित सभी दोषियों को सजा मिलेगी। वहीं चिटफंड कंपनियों के एक लाख एजेंट, जो भी बेकसूर पाए जाएंगे, उन पर लगे आरोपों का भी पुनर्मूल्यांकन होगा, ताकि किसी निर्दोष को सजा न मिले। चिटफंड घोटाले के हर दोषी की जगह जेल की सलाखों के पीछे होगी।

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