नेशन अलर्ट/राजनांदगांव।
राजकुमार गुप्ता की सेफ्टी पिन मुख्यमंत्री को चुभने वाली है। भाजपा नेता रहे शहर के ही राजकुमार राजनांदगांव विधानसभा क्षेत्र से चुनावी दंगल में उतर गए हैं। जाहिर तौर पर मुख्यमंत्री के प्रतिनिधित्व से असंतुष्ट नेताओं की फेहरिस्त में खुले तौर पर सामने आने वाले स्थानीय नेताओं में राजकुमार पहला नाम है।
चुभेंगे ये सवाल
गुप्ता ने अपने प्रचार के लिए जो पांपलेट बांटे हैं उनमें मुख्य मुद्दे सिर्फ पांच हैं.. और ये वही मुद्दे हैं जिसे लेकर स्थानीय जनता भी आज तक बेखबर है। बेखबर होने के मायने ये हैं कि ऐसे सवाल जिनके जवाब जनता को नहीं मिले हैं।
राजकुमार ने मुख्यमंत्री के प्रतिनिधित्व को चुनौती दी है। वे सवाल करते हैं कि क्या उनके प्रतिनिधित्व पर किए गए विश्वास का सही फल मिला है। विकास पुरुष की छवि रखने वाले मुख्यमंत्री को लेकर वे कहते हैं उन्होंने विकास महज कुछ लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए किया है।
फिर भी जिला पिछड़े की सूची में क्यूं..
उनके मुद्दों में यह भी उल्लेख है कि पिछले 20 सालों से मुख्यमंत्री (तकरीबन पांच साल केंद्रीय मंत्री, 15 सालों से मुख्यमंत्री) जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं लेकिन बावजूद इसके अब तक राजनांदगांव जिला अति पिछड़े जिलों की श्रेणी में क्यूं हैं? सवाल जायज भी है कि अगर मुख्यमंत्री विकास की बात करते हैं तो वो विकास कहां हैं.. जो अब तक जिले को पिछड़े क्षेत्र की सूची से बाहर नहीं ला सका है।
उद्योग का मसला भी गुप्ता उठाते हैं। वे सवाल पूछ रहे हैं कि आखिर वो उद्योग कहां हैं जिनके वादे किए गए थे। रोजगार भी नदारद है। किसानों के विषय में राजकुमार मुखर है। उन्होंने इसे अपने मुद्दों की फेहरिस्त में आखिर में रखा है। वे पूछ रहे हैं कि किसानों को उनकी जायज मांग पर पुलिसिया डंडे मिले.. क्या ये उचित है।
अब बात करें राजकुमार की दावेदारी की तो मुख्यमंत्री का मुकाबला उनसे मतों के अंतर से हार-जीत का नहीं है… लेकिन इन मुद्दों से मुख्यमंत्री को वाजिब तौर पर मुकाबला करना होगा। बागी हुए एक भाजपाई के ये सवाल अगर लोग भी मुख्यमंत्री से पूछने लगेंगे तो एक बड़ी मुश्किल मुख्यमंत्री के समक्ष पेश आएगी।