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रायपुर.
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल लिखते हैं कि सत्यमेव जयते . . . आखिर उन्हें ऐसा लिखने की जरूरत क्यूं पडी़ ? दरअसल, उनके पक्ष में जो फैसला आया है उसके बाद से वह प्रकरण पुन: सुर्खियाँ बटोर रहा है जिसे प्रदेश की तत्कालीन रमन सरकार के ताबूत की अँतिम कील माना गया था.
रायपुर पश्चिम का विधानसभा सभा चुनाव जीतकर राजेश मूणत ने एक बार फिर अपनी उपयोगिता 2023 में साबित की हो लेकिन 2025 के शुरूआती तीन माह तक वह प्रदेश मँत्रिमँडल में लौटने में असफल रहे हैं. इसके पीछे बहुत बडा़ कारण वह कथित सेक्स सीडी बताई जाती है जिसके एक पात्र यदि मूणत थे तो दूसरे पात्र भूपेश बघेल.
कब क्या हुआ . . ?
रायपुर स्तर के एक स्थानीय भाजपा नेता प्रकाश बजाज ने पंडरी थाने में 26 अक्तूबर 2017 को एक रपट दर्ज कराई थी. समय रहा होगा दोपहर साढ़े तीन बजे के आस पास का. रपट का लब्बोलुआब यह था कि प्रकाश को कोई फोन आया था जिसमें “आका” कि उल्लेख था.
प्रकाश द्वारा कराई गई रपट के मुताबिक “आका” की सेक्स सीडी बनाने की बात कही गई थी. हालांकि एफ़आईआर में विनोद वर्मा के नाम का ज़िक्र नहीं था. इसके बावजूद इसमें एक दुकान का ज़िक्र था, जहाँ पर कथित तौर पर सीडी की नकल बनाई जा रही थी.
इस रपट के दर्ज होने के लगभग 11 घँटों के भीतर ही छत्तीसगढ़ पुलिस अचानक दिल्ली पहुँचती है. वहाँ से वह कथित दुकानदार, फ़ोन करने वाले की जानकारी, फुटेज एकत्र कर लेने का दावा करते हुए अगले पडा़व की ओर बढ़ जाती है.
गाजियाबाद की एक रिहायशी कालोनी में 27 अक्तूबर 2017 को देर रात छत्तीसगढ़ पुलिस फिर अचानक पहुँचती है. इसी स्थान पर विनोद वर्मा नाम का शख्स रहता था जोकि छत्तीसगढ़ से निकल कर देश की पत्रकारिता में अपनी जगह बना चुका था. फिलहाल वह पत्रकारिता नहीं कर रहा था.
वह काँग्रेस और उसके कुछेक नेताओं को सलाह देने का काम कर रहा था. उसी वर्मा को तत्कालीन रमन सिंह सरकार के मँत्री रहे राजेश मूणत से जुड़ी एक कथित सेक्स सीडी के मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस गिरफ्तार कर सड़क मार्ग से रायपुर के लिए लेकर निकलती है.
पुलिस की ओर से उन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने मूणत की एक अश्लील सीडी बनाई है. पुलिस का तब का दावा था कि उनके निवास से इस वीडियो क्लिप की 500 सीडी और 2 लाख रूपए जब्त किए गए हैं. यह मामला शुरु कैसे हुआ था यदि यह जानना है तो भूपेश बघेल के उन पुराने दिनों को याद करिए जब वह प्रदेश काँग्रेस अध्यक्ष हुआ करते थे. उनकी आक्रामक शैली ने प्रदेश की तत्कालीन राज्य सरकार की रातों की नींद उडा़ कर रखी हुई थी.
सुबह हुई कि नहीं भूपेश के नए आरोप सामने आ जाते थे. फिर सरकार की माथापच्ची चालू होती थी. ऐसी ही एक सुबह 6 बजे एक प्रेस कांफ्रेंस रखी गई. इसमें मीडिया को एक सीडी बाँटी गई थी. इस सीडी में दिखाए गए वीडियो को लेकर भूपेश की ओर से दावा किया गया था कि महिला के साथ बेहद आपत्तिजनक स्थिति में दिखने वाला व्यक्ति मँत्री राजेश मूणत है.
थोडी़ ही देर में यह वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. अमूमन इस तरह के मामलों में जैसा होता है वैसा ही इसमें भी तब हुआ जब कुछ ही घँटों के भीतर तत्कालीन मँत्री मूणत इसका खंडन करते हुए तत्कालीन मुख्यमँत्री से इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराए जाने की माँग को लेकर सामने आ गए. उनकी अपनी पार्टी भाजपा ने भी इसे काँग्रेस की गँदी राजनीति से जोड़ना शुरु कर दिया था.
छत्तीसगढ़ के सिर पर चुनाव खडा़ हुआ था. रमन सरकार का कोई मँत्री कथित तौर पर ही सही लेकिन यदि वह सेक्स सीडी मामले में फँसता है तो भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे पर बात उठना लाजिमी था. उस समय मूणत का कथित अश्लील वीडियो जमकर वायरल हुआ था.
उधर, मूणत ने उच्च स्तरीय जाँच की माँग कर रखी थी इस कारण मामला छत्तीसगढ़ पुलिस से केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) के हाथों पहुँच गया था. वही सीबीआई इस मामले में 60 दिनों के भीतर विनोद वर्मा के विरुद्ध चालान भी पेश नहीं कर पाई थी. अँततः 28 दिसंबर 2017 को विनोद को ज़मानत पर रिहा करने का आदेश जारी किया गया.
26 सितंबर 2018 को इसी मामले में बघेल को भी गिरफ़्तार किया गया. आक्रमण करने में माहिर भूपेश बघेल ने जमानत लेने से भी इनकार कर दिया. भूपेश बघेल को भी जेल भेज दिया गया. इसके बाद उन्हें चुनावी साल में जमानत पर छोड़ने का आदेश हुआ.
सीडी काँड सहित भ्रष्टाचार के अनगिनत आरोपों के साये में रमन सरकार 2018 का विधानसभा चुनाव बुरी तरह से हार गई. 15 साल छत्तीसगढ़ में राज करने वाली पार्टी को महज 15 सीटें ही मिल पाई थीं. और तो और तत्कालीन लोक निर्माण मँत्री राजेश मूणत भी अपनी सीट नहीं बचा पाए.
भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. उनके मुख्यमंत्री बनते ही सीबीआई ने दिल्ली की अदालत में आवेदन दिया कि इस मामले को दिल्ली शिफ्ट कर दिया जाए क्योंकि इस मामले के आरोपी भूपेश बघेल अब राज्य के मुख्यमंत्री हैं, जबकि दूसरे आरोपी विनोद वर्मा उनके सलाहकार हैं, इस कारण राज्य में इस मामले की निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती है.
यही आवेदन दिल्ली की अदालत में पाँच साल तक धूल खाते पडा़ रहा. 2023 में फिर जब भूपेश के नेतृत्व वाली काँग्रेस सरकार को बाहर कर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनीं तो सीबीआई ने अपना उक्त आवेदन भी वापस ले लिया. साल भर बाद रायपुर की विशेष अदालत में मामले की सुनवाई फिर शुरु हुई है.
पहली पेशी के समय भूपेश व अन्य आरोपी चूँकि स्थानीय चुनाव में व्यस्त थे इस कारण मामले में आगे की तारीख दी गई. वह तारीख कल की ही थी. कल यानिकि मँगलवार को इस मामले में भूपेश बघेल पाकसाफ घोषित हो गए. अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया.
भूपेश के सत्यमेव जयते लिखने का कारण भी यही था. बहरहाल, विनोद वर्मा, विजय पंड्या, कैलाश मुरारका, स्वर्गीय रिंकू खनुजा, विजय भाटिया इसी मामले से चर्चित हुए थे. अभी इन पर फैसला आना बाकी है.
आने वाले समय में “नेशन अलर्ट” इसके राजनीतिक नफा नुकसान का आँकलन करने का प्रयास कर रहा है. शीघ्र ही वह खबर भी पढने मिलेगी.