बडे़ आरोपियों को बडी़ अदालत से मिली जमानत लेकिन . . ?

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नेशन अलर्ट/9770656789

रायपुर.

छत्तीसगढ़ के बडे़ घोटाले में कथित रूप से शामिल रहे बडे़ आरोपियों को बडी़ अदालत ने आज सशर्त जमानत दे दी. इसके बावजूद आशँका जताई जा रही है कि बाहर आने पर इन्हें दर्ज अन्य मामलों में पुन: गिरफ्तार किया जा सकता है.

दरअसल, सोमवार को छत्तीसगढ़ के लिए बडी़ महत्वपूर्ण खबर आई. पूर्ववर्ती काँग्रेसी सरकार के समय हुए कथित कोयला घोटाला में शामिल रहने के आरोप में गिरफ्तार किए आईएएस अधिकारियों, राज्य प्रशासनिक सेवा की ताकतवार रहीं अधिकारी सहित कुछेक अन्य आरोपियों को छोड़ने का आदेश दे दिया गया.

कौन कब हुआ गिरफ्तार . . ?

दरअसल, छत्तीसगढ़ में बहुतायत में कोयला उत्पादित होता है. राज्य के बिलासपुर व सरगुजा सँभाग में इन्हीं सब कारणों से अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी पदस्थ होना चाहते हैं.

कभी कभार कार्रवाई हुई तो भी बडे़ अधिकारियों पर कोई आँच नहीं आती थी. लेकिन 2018 में बनीं काँग्रेस सरकार के समय जो कुछ हुआ उसे कोल स्कैम का नाम दे दिया गया.

इसी मामले सहित कुछेक अन्य मामलों को लेकर राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी श्रीमती सौम्या चौरसिया को केंद्रीय जाँच एजेंसियों ने अपने निशाने पर ले लिया.

सौम्या, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव के पद पर पदस्थ थीं. उन्हें 2 दिसंबर 2022 को एजेंसी ने अपनी गिरफ्त में लिया था.

श्रीमती चौरसिया की इस गिरफ्तारी से छत्तीसगढ़ की राजनीति हिल गई थी. साथ ही साथ प्रशासनिक अमला हतप्रभ था.

इसके बाद आईएएस श्रीमती रानू साहू का नँबर आया. वह कोरबा और रायगढ़ कलेक्टर रह चुकीं थीं. रायगढ़ के आईएएस बँगले में छापा भी डाला गया था.

रानू के पति जयप्रकाश मौर्य भी आईएएस हैं. रानू 22 जुलाई 2022 से ही बाहर नहीं आ पाईं हैं.

गिरफ्तारी का चक्र यहीं पर नहीं रूका. अब बारी थी आईएएस समीर विश्नोई की जिन्हें 13 अक्तूबर 2022 से खुली हवा नहीं मिल पाई है.

बडे़ अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद मामले के सरगना सूर्यकांत तिवारी को कुछ और समझ न आया तो उसने 29 अक्तूबर 2022 को अपनी गिरफ्तारी दे दी.

तब से ही यह सभी कभी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), तो कभी आयकर विभाग (आईटी), तो कभी केंद्रीय जाँच ब्यूरो (सीबीआई) के साथ साथ राज्य में सरकार बदलने के बाद अब एसीबी – ईओडब्यू की भी कार्रवाई झेल रहे हैं.

लेकिन इनके लिए आज का दिन एक तरह से अच्छा ही रहा. वह इसलिए कि इन्हें कुछेक अन्य आरोपियों के साथ सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी. यह जमानत राज्य के एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) द्वारा दर्ज मामले में मिली है.

जमानत के साथ सुप्रीम कोर्ट ने कुछेक शर्त भी रखी है. उसका उल्लंघन होते पाए जाने पर राज्य सरकार कोर्ट में आवेदन दे सकती है. आवेदन के आधार पर अँतरिम जमानत रद्द भी की जा सकती है.

जिन्हें अँतरिम जमानत दी गई है उनमें उक्त अधिकारियों व व्यक्ति के अलावा सँदीप नाग, रोशन सिंह, मोइनुद्दीन कुरैशी, चँद्रप्रकाश जायसवाल, राहुल सिंह, हेमँत जायसवाल, दीपेश टाँक, शिवशंकर नाग जैसों के नाम शामिल बताए गए हैं.

अँतरिम जमानत का यह फैसला जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह व जस्टिस सूर्यकांत की बैंच द्वारा सुनाया गया. जमानत देते हुए अदालत ने यह कहा कि आरोपी जमानत की शर्तों का पालन व निष्पक्ष जाँच में सहयोग करें.

बहरहाल, इसके बावजूद सौम्या चौरसिया जिन्हें छत्तीसगढ़ में सुपर सीएम के नाम से पुकारा जाता था, शायद ही बाहर आ पाएँ. चूंकि उनके विरूद्ध आय का एक अन्य मामला पहले से ही दर्ज है जिसमें उन्हें जमानत नहीं मिली है इस कारण उनके जेल में ही रहने की सँभावना कानून के जानकार बता रहे हैं.

अब यदि निलँबित आईएएस श्रीमती रानू साहू और समीर विश्नोई बाहर आते हैं तो उन्हें एसीबी पुन: गिरफ्त में ले सकती है. कारण आय से अधिक सँपत्ति के जिस मामले में दोनों को एसीबी ने आरोपी बना रखा है उसमें दोनों अब तक गिरफ्तार नहीं हुए हैं. मतलब लडा़ई अभी लँबी चलनी है.

हुआ भी यही . . . सुबह जमानत का आदेश जारी हुआ तो शाम को एसीबी ने डीएमएफ के मामले में कार्रवाई कर दी. मामले में रजनीकाँत तिवारी की डायरी को आधार बना गया है.

एसीबी की तत्परता से प्रोडक्शन वारँट की तामिली करवाई गई. सस्पेंडेड आईएएस रानू साहू सहित सौम्या चौरसिया, सूर्यकाँत तिवारी को स्थानीय अदालत के समझ पेश किया गया.

तर्कों को सुनने के बाद एसीबी की स्पेशल कोर्ट की जज निधि शर्मा तिवारी ने तीनों को 6 मार्च तक के लिए एसीबी को रिमांड पर सौंप दिया है. इसमें भी कुछेक शर्तें लगाई गई हैं.