नेशन अलर्ट/रायपुर।
क्या छत्तीसगढ़ का ब्राह्मण समुदाय वाकई कांग्रेस से नाराज है? क्या यह नाराजगी इस विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने को तत्पर बैठी कांग्रेस को महंगी पड़ेगी। दरअसल कांग्रेस ने जो कोर कमिटी राज्य के संदर्भ में गठित की है उस समिति में किसी भी ब्राह्मण नेता को जगह नहीं दी गई है। अब धीरे-धीरे ही सही लेकिन यह मुद्दा कांग्रेसियों के बीच गहराने लगा है।
दरअसल, पहले प्रदेश कांग्रेस कमेटी सर्वेसर्वा हुआ करती थी। चूंकि भूपेश बघेल इस कमेटी के अध्यक्ष हैं इस कारण उनके हाथ में बहुतायत ताकत थी। यह तो कांग्रेस का दुर्भाग्य कहिए कि ऐन चुनाव के पहले भूपेश बघेल को लेकर छत्तीसगढ़ में सीडी की राजनीति होने लगी।
एक सीडी प्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राजेश मूणत से कथित तौर पर जुड़ी बताई जाती थी जिस पर अपने नजदीकी विनोद वर्मा सहित भूपेश बघेल आरोपी बनाए गए हैं। तो दूसरी सीडी में भूपेश बघेल से कथित तौर पर सीटों को लेकर लेन-देन की बात करते हुए पप्पू फरिस्ता, फिरोज सिद्दीकी जैसे लोग नजर आ रहे हैं।
दोनों सीडी ने भूपेश बघेल को कांग्रेस के भीतर कुछ हद तक हिलाने का प्रयास किया। अब यह प्रयास कितना सफल हो पाया अथवा नहीं हो पाया इस पर बात करना बेमानी है लेकिन कांग्रेस ने एक समन्वय समिति का गठन दोनों सीडी कांड के तुरंत बाद प्रदेश स्तर पर कर दिया। राष्ट्रीय संगठन द्वारा गठित की गई यह समिति अब कांग्रेस को कुछ चीजों को सोचने मजबूर कर रही है।
कौन-कौन है शामिल
प्रदेश में लाख खबर उड़ाई गई अथवा उड़ाई जा रही है कि भूपेश बघेल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाए जा रहे हैं लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। और तो और भूपेश बघेल ने ठसके के साथ रुचिर गर्ग जैसे वरिष्ठ पत्रकार को कांग्रेस में शामिल कराकर राहुल गांधी के समक्ष अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है। लेकिन इधर, समिति के गठन से भूपेश को टिकट वितरण के दौरान कहीं न कहीं परेशानी झेलनी भी पड़ सकती है।
समिति में बघेल के अलावा ओबीसी वर्ग से डॉ चरणदास महंत व सांसद ताम्रध्वज साहू शामिल किए गए हैं। इसी तरह आदिवासी समाज से अरविंद नेताम, अनुसूचित जाति वर्ग से प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के अलावा कमला मनहर शामिल की गई हैं। सामान्य वर्ग से मात्र नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव समिति में स्थान बना पाए हैं।
गौरतलब बात यह है कि सात सदस्यीय समिति में एक भी ब्राह्मण को जगह नहीं मिली है। मतलब साफ है कि सामान्य वर्ग की तमाम सीटों पर जो भी प्लस-माईनस का डिसीजन होगा उसकी कमान सिंहदेव के हाथों में होगी। सिंहदेव इसे अपने लिए भले ही प्लस मान सकते हैं लेकिन यदि उन्होंने पर्याप्त संख्या में ब्राह्मणों को टिकट नहीं दिलाई तो ठीकरा भी उन्हीं के सिर फूटेगा।
इस बारे में ‘नेशन अलर्ट’ ने पार्टी का पक्ष जानने सिंहदेव से उनके मोबाईल पर संपर्क साधा था लेकिन उनका फोन बंद आया। इसी तरह सत्यनारायण शर्मा से संपर्क साधा गया तो उनके किसी कार्यकर्ता ने कहा कि ‘अभी भैय्या वार्ड भ्रमण में व्यस्त हैं, शाम को ही बात हो पाएगी।’ भले ही अभी कांग्रेसी इस बारे में कोई भी बात नहीं कर रहे हों लेकिन यह मुद्दा आने वाले दिनों में अपना रंग दिखा सकता है।