नेशन अलर्ट/रायपुर।
राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री रहे अजीत जोगी से उनके कार्यकर्ता एक बार फिर से मायूस हो गए हैं। पहले यह मायूसी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से समझौता करने के बाद आई थी और इस बार कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) से समझौते के बाद आई है। बताया जाता है कि दोनों ही मर्तबा जकांछ-जे के वरिष्ठ नेताओं सहित पूर्व मुख्यमंत्री जोगी ने अपने उन कार्यकर्ताओं से विचार-विमर्श करना जरुरी नहीं समझा जो कि उनके लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। बहरहाल इस बार जकांछ-जे ने बस्तर की दो विधानसभा सीट कोंटा व दंतेवाड़ा को सीपीआई के सुपुर्द कर दिया है।
बसपा से हुए समझौते के बाद जोगी के कार्यकर्ताओं में इस हद तक मायूसी है कि कईयों ने तो जोगी निवास जाकर खूब खरी-खोटी सुनाई है। छत्तीसगढ़ के फैसले छत्तीसगढ़ की जनता करेगी के नारे लगाने वाले जोगी पिता-पुत्र के आगे कार्यकर्ताओं की तब एक नहीं चली थी जब उत्तर प्रदेश से वहां के प्रतिष्ठित दल बसपा को इन दोनों ने आयात किया था।
जोगी ने मायावती के साथ लखनऊ जाकर जब जकांछ-जे व बसपा के समझौते को लेकर पत्रकार वार्ता की थी तब उनके अपने कार्यकर्ताओं को खबर हुई थी कि वह जिस सीट पर तैयारी कर रहे हैं वह सीट उनके खाते में नहीं बल्कि बसपा के खाते में जा चुकी है।
इस बार सीपीआई से मिलाया हाथ
आज रविवार की सुबह सीपीआई के साथ जोगी ने एक संयुक्त प्रेसवार्ता कर इस बार हुए समझौते की जानकारी पत्रकारों को दी। बताया तो यहां तक जाता है कि दोनों ही मर्तबा जोगी पिता-पुत्र ने अपने कार्यकर्ताओं से इस संदर्भ में विचार विमर्श करना जरुरी नहीं समझा।
इधर, जोगी ने संयुक्त प्रेसवार्ता में कहा है कि छत्तीसगढ़ में बसपा और उनकी पार्टी की लोकप्रियता को देखते हुए सीपीआई भी उनके साथ शामिल हो रही है। जोगी ने दावा किया है कि बस्तर की दोनों सीटों कोंटा व दंतेवाड़ा सहित सरगुजा, भिलाई के अलावा अन्य इलाकों में इसका फायदा मिलेगा।
कोंटा-दंतेवाड़ा का इतिहास
राजनीतिक जानकार बताते हैं कि शुरु से ही सीपीआई की दोनों सीटों पर मजबूत पकड़ रही है। 1990 व 93 के चुनावों में इन दोनों सीट पर सीपीआई ने जीत दर्ज की थी। 1998 के चुनाव में दोनों स्थानों पर सीपीआई के प्रत्याशी दूसरे स्थान पर रही थी। यही हाल वर्ष 2003 में हुए चुनाव में भी रहा था। 2008 में कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल कर दंतेवाड़ा में सीपीआई ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया था। इसी चुनाव में कोंटा में नजदीकी मुकाबले में 879 मतों से सीपीआई का प्रत्याशी कांग्रेस के हाथों हारा था। 2013 में इन दोनों सीट पर सीपीआई का प्रभाव कुछ कम हुआ और वह तीसरे स्थान पर खसक गई थी।