चुनावी रण में ताल ठोकेंगे बाबाजी, नांदगाँव की राजनैतिक फि़जा़ बदलेगी !

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राजनांदगाँव.

यदि सबकुछ ठीक रहा तो इस बार राजनांदगाँव के महापौर पद के लिए होने वाली राजनीतिक लडा़ई न केवल रोचक होगी बल्कि साम दाम दँड़ भेद वाली भी हो सकती है. भाजपा काँग्रेस के मौजूदा दावेदारों से इतर, एक नाम बडी़ तेजी से उभर कर सामने आया है. यदि इन्होंने हाँ की तो वह पार्टी नतीजे घोषित होने के पहले ही आधी जँग जीत सकती है जिससे लड़ने यह शख्स तैयार हुआ था.

जी हाँ, हम बात उस व्यक्ति की कर रहे हैं जिन्हें राजनांदगाँव ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ के राजनीतिक, प्रशासनिक, कला साहित्य, खेल, धर्म अध्यात्म आदि क्षेत्र से जुडे़ व्यक्ति बाबाजी के उपनाम से जानते हैं. बाबाजी की रूचि पत्रकारिता में भी रही है. पूर्व में वह सक्रिय पत्रकार रह चुके हैं.

सेवानिवृत्त हो चुके हैं . . .

उल्लेखनीय है कि बाबाजी यानिकि राजेश मारू पूर्व में शासकीय सेवा में थे. वहाँ से वह अब सेवानिवृत्त हो चुके हैं. बाबाजी, श्री बर्फानी आश्रम सेवा समिति से वर्षों से जुडे़ हैं. गौरतलब तथ्य है कि वे यहाँ के अध्यक्ष हैं.

इनकी ही देखरेख में देशभर में प्रसिद्ध राजनांदगाँव का वह मँदिर काम करता है जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग किनारे स्थापित करने में इन्होंने बहुत मेहनत की थी जोकि अब तक जारी है. इस मँदिर के दर्शन करने देश विदेश से बर्फानी बाबा के भगत आते रहते हैं.

यह इस मँदिर के अलावा पूर्व में नगर की देवी शीतला माँ के मँदिर से जुडे़ रहे थे. आज भी देवी भक्ति में गाए जाने वाले जस गीत में इनकी सुमधुर आवाज़ सुनाई देती है. तो कभी यह हाकी की नर्सरी मानी जाने वाली सँस्कारधानी में देशभर से आए खिलाड़ियों की हौसला अफजाई के लिए उनके उस कोच के अनुरोध पर पहुँचते हैं जोकि उनके पुराने मित्र रहे हैं.

शहर के अच्छे अच्छे पत्रकार इनसे राय मशविरा करने के बाद ही उस खबर को बनाते हैं जिससे उन्हें नाम दाम दोनों अर्जित हों. इधर, क्या भाजपा और क्या काँग्रेस . . . दोनों के नेता – कार्यकर्ता इनसे समय समय पर विभिन्न विषयों पर रायशुमारी करते देखे जा सकते हैं.

शहर की समस्याओं और उनके स्थायी समाधान के लिए यह भरसक अच्छी बात होगी कि बाबाजी चुनावी राजनीति में अवतरित हों. यदि ऐसा होता है तो नांदगाँव की राजनीतिक फि़जा़ आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर बदल जाएगी.

. . . लेकिन सँशय इस बात का है कि वह राजनीतिक दल कौन सा होगा जिससे यह चुनाव लड़ने तैयार होंगे ? शायद भाजपा या फिर काँग्रेस ? इतना जरूर है कि इन्हें ऊपर राजधानी के स्तर पर तैयार करने का गोपनीय कार्य किया जा रहा है. बाबाजी, राजधानी रायपुर के नेताओं के सँपर्क में हैं तो जरूर . . . देखिए होता है क्या ?