राजनांदगांव। डुमरडीहकला में कथा के सातवें दिन हजारों की संख्या में भक्तों ने आचार्य पंण्युवराज पाण्डेय के श्रीमुख से कथा का श्रवण किया गया। शनिवार को कथा स्थल के आसपास बुंदेलीकला, ठेलकाडीह, पदुमतरा एवं खैरा आदि क्षेत्रों के श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने से पंडाल को बढ़ाया गया, तब जाकर श्रद्धालुओं की भीड़ सम पाई है। पूरा कथा स्थान खचाखच भरा रहा। कथा स्थल के बाहर से भी लोग प्रोजेक्ट्स से कथा श्रवण किये। भागवत कथा की शुरूआत रूद्राभिषेक भागवत आरती और देवी जसगीत के साथ किया गया।
आचार्य पं. युवराज पाण्डेय ने अपने सातवें दिन की कथा में बताया कि सतयुग में भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया। नर और नारायण दो भाई थे, जो ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि मरीचि के वंशज थे। नर और नारायण ने बचपन से ही तपस्या और साधना शुरू कर दी थी। वे दोनों भाई हरि-नाम का जप करते थे और भगवान विष्णु की पूजा करते थे। एक दिन, भगवान शिव ने नर और नारायण की तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिया। शंकर ने नर और नारायण को वरदान दिया कि वे दोनों भाई एक दूसरे के साथ मिलकर भगवान विष्णु की पूजा करेंगे और उनकी कृपा से मोक्ष प्राप्त करेंगे। कलियुग में भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया। नर का अवतार अर्जुन के रूप में हुआ, जबकि नारायण का अवतार भगवान श्रीकृष्ण के रूप में हुआ।
एक दिन भृगु ऋषि भगवान विष्णु के दर्शन करने के लिए उनके महल में आए। भगवान विष्णु उस समय सो रहे थे, और भृगु ऋषि ने उन्हें जगाने के लिए उनके पैर पर लात मारी। भगवान विष्णु जाग गए और भृगु ऋषि को देखा। उन्होंने भृगु ऋषि से कहा कि उन्हें अपने पैर पर लात मारने के लिए क्षमा करें। भगवान विष्णु ने यह भी कहा कि वे भृगु ऋषि के चरणों को स्पर्श करके अपने आप को धन्य मानते हैं। भृगु ऋषि भगवान विष्णु की विनम्रता से प्रसन्न हुए, लेकिन उन्होंने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि वे भविष्य में कई बार अपने शरीर से अलग होंगे और कई अवतार लेंगे। भृगु ऋषि के श्राप के अनुसार, भगवान विष्णु ने कई अवतार लिये, अपने कथा को विराम दिया कथा के अंतिम में पूजा अर्चना कर हरि नाम कीर्तन के साथ व देवी की पचरा जसगीत के साथ किया गया। जिसमें कथा में उपस्थित श्रोताओं ने संगीत में जमकर झूमे। माता के जयकारे से कथा पंडाल गूंज उठा।
कार्यक्रम में कलयुग के महामंत्र हरे कृष्ण, हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे-हरे राम, हरे राम हरे राम राम राम हरे का भजन हिंदी, छत्तीसगढ़ी, उड़िया भजन, संबलपुरी भजन जसगीत घुमर घुमर रण गरजे सहित अन्य जसगीत में श्रद्धालु झूमते नजर आए।
आचार्य पं. युवराज पाण्डेय के साथ पंडित कामेश पाण्डेय, पंडित, अमित शुक्ला, पंडित तरुण दुबे, पंडित चिरंजीवी, पंडित दिवाकर, पंडित नीरज पाण्डेय सहित 11 पंडित द्वारा प्रतिदिन सुबह 8 से 10 एवं शाम 6 बजे से चंडी महायज्ञ आयोजित किया जा रहा है।
आज के कार्यक्रम में पूर्व विधायक विनोद खांडेकर, जिला पंचायत सभापति अशोक देवांगन, पूर्व जिला पंचायत कवर्धा रघुराज सिंह, दर्शन जैन, जनपद अध्यक्ष प्रतिनिधि सुर्यकांत भंडारी, क्षेत्रीय जनपद सदस्य सभापति ओमप्रकाश साहू, डुमरडीह सरपंच जजमान दिनेश-सुनीता ठाकुर, सरपंच संघ अध्यक्ष नोमेश वर्मा, पदुमतरा सहकारी समिति अध्यक्ष टाकेश सिन्हा, परदेशी साहू, राकेश साहू, धन्नु बाफना, सरपंच खपरीखुर्द तारणी वर्मा, मगरलोटा सरपंच कनक दुबे, पदुमतरा सरपंच ललिता मोहन साहू, रामकुमार साहू, राजेश्वरी साहू, दुर्गा साहू, पवन महोबिया, भागीरथी साहू, घनश्याम साहू सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुजन शामिल हुए।
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