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जनचर्चा
अमित जोगी. . . छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी और पूर्व विधायक डाक्टर श्रीमती रेणु जोगी के इकलौते सुपुत्र का यही नाम है.
भले ही वह अभी राजनीति की सक्रिय सीढि़यों में चढ़ते नज़र नहीं आते हैं लेकिन उनमें राजनीति कूट कूटकर भरी हुई है. जनचर्चा में अब उनकी एक घोषणा चर्चा का विषय है.
जनचर्चा बताती है कि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की कोर कमिटी ने बीते दिनों एक निर्णय लिया. इसी निर्णय पर जगह जगह जनचर्चा होने लगी है.
“जब तक भारत में ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के माध्यम से चुनाव कराये जाएँगे, तब तक वो सभी ग़ैर – एनडीए राजनीतिक दलों से ऐसे सभी चुनावों का सीधे बहिष्कार करने का आह्वान करेगी.”
जनचर्चा के मुताबिक ऐसी किसी घोषणा का बडा़ महत्व होता है. उससे भी ज्यादा महत्व उसे करने वाले का होता है.
भारत के संविधान में प्रजातांत्रिक प्रक्रिया में देश के मतदाताओं का पुनः विश्वास स्थापित करने हेतु बैलट पेपर से चुनाव कराने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. ऐसी घोषणा अमित जोगी के नेतृत्व वाले दल ने की है.
जनचर्चा इस एक सिक्के के दोनों पहलू देख रही है. पहला पहलू वही है जो आपको हमको नज़र आ रहा है. दूसरा पहलू चौंकाने वाला है.
दरअसल, अमित, अपनी पार्टी का प्लस माइनस जानते हैं. इन दिनों पारिवारिक समस्याओं से भी वह दो चार हो रहे हैं. अपने पिताजी के निधन के बाद अपनी मम्मी के स्वास्थ्य को लेकर उन्हें लँबी भागदौड़ करनी पडी़.
दूसरी ओर उनके सुपुत्र का स्वास्थ्य अलग से दिक्कत पैदा कर रहा है. इन सभी कारणों से वह अपने दल को पर्याप्त समय नहीं दे पाए होंगे.
इसी दौरान जो चुनाव हुए उनमें ईवीएम प्रमुख मुद्दा बनाया गया. फिर वह हरियाणा हो या फिर महाराष्ट्र का ही चुनाव क्यूं न हो जिसमें ईवीएम अब तक निशाने पर है.
अमित तेज नज़र रखते हैं. सँभवतः इसी कारण उन्होंने ईवीएम से चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर दी. इससे सत्ताधारी दल के साथ चुनाव आयोग दबाव महसूस भी करेगा.
दूसरी ओर अमित विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच चर्चा का विषय बन जाएंगे. इसके अलावा उन्हें अपनी पार्टी को चुस्त दुरूस्त करने का भरपूर समय अलग से मिल जाएगा.