ऐसे आम लोगों की तादाद कम नहीं है जो छत्तीसगढ़ राज्य गठन को भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की दी हुई अनमोल सौगात मानते हैं. लेकिन, न जाने क्यूं शायद भाजपाई अब ये नहीं मानते..
यदि ऐसा नहीं होता तो क्या बाजपेयी जी का उल्लेख राज्योत्सव के अवसर पर जगह-जगह टंगे फ्लैक्स पर नहीं होता? यदि ऐसा नहीं होता तो क्या मुंह-जुबानी नाम लेने के अलावा बाजपेयी जी की तस्वीर का सदुपयोग उन विज्ञापनों में नहीं किया जाता जो कि सरकारी खजाने से जारी हुए थे..?
लेकिन ऐसा नहीं लगता है. दरअसल, आज की भाजपा अटल-आडवाणी की भाजपा से दीगर भाजपा है. चाल-चरित्र-चेहरा भाजपा का ही बदल गया है. तभी तो जिस तरह आडवाणी जी भूला दिए गए ठीक उसी तरह वह बाजपेयी जी भी भूले-बिसरे व्यक्ति हो गए हैं जिन्हें आम छत्तीसगढिय़ा राज्य निर्माता के तौर पर जानता है.
क्या रायपुर, क्या बिलासपुर, क्या जगदलपुर और मुख्यमंत्री का निर्वाचन जिला राजनांदगांव.. तकरीबन सभी जगह ऐसे मंच बने थे जहां बाजपेयी जी का न तो नाम था और न ही तस्वीर. अटल बिहारी बाजपेयी ने भले ही नि:स्वार्थ भाव से छत्तीसगढ़ का निर्माण किया रहा हो लेकिन छत्तीसगढिय़ों ने बाजपेयी जी को मन-लगाकर समर्थन दिया है.
यदि ऐसा नहीं होता तो भाजपा तीन मर्तबा राज्य की सत्ता पर काबिज नहीं हो पाती. यदि ऐसा नहीं होता तो भाजपा को आम संसदीय चुनाव में 11 में से 10 सीटों की सौगात एक से अधिक मर्तबा नहीं मिलती. लेकिन फिर भी अटल जी भूला दिए गए.
क्या भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी सिर्फ एक नाम है. जी नहीं, बाजपेयी जी भारतीय राजनीति का एक आधार स्तंभ हैं. आजाद भारत की उस राजनीति का आधार स्तंभ बाजपेयी जी हैं जहां नेहरु-इंदिरा से लेकर राजीव तक का दौर उन्होंने देखा था.
जहां सहीं रहा वहां उन्होंने सहीं कहा जहां उन्हें गलती नजर आई उसे उन्होंने गलत कहा. विपक्ष के सर्वमान्य नेता होने के बाद बाजपेयी जी को जब एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री का पद मिला तब भी वे सर्वमान्य रहे. इतने सर्वमान्य कि उन्हें विपक्षी दलों का भी समय-समय पर भरपूर समर्थन प्राप्त हुआ.
लेकिन… बाजपेयी जी को उस छत्तीसगढ़ में अपनी ही पार्टी की सरकार से शायद वह समर्थन अब प्राप्त नहीं है तभी तो उनकी तस्वीर आदि का सदुपयोग फ्लैक्स, होर्डिंग्स अथवा सरकारी विज्ञापनों में नहीं किया गया. शायद, यह आज की भाजपा है. जहां आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, स्व. भैरोसिंह शेखावत, राजमाता स्व. विजयाराजे सिंधिया जैसे दिग्गज अपनी ही पार्टी में बेगाने हो गए हैं. अब बारी भारत रत्न अटल बिहारी बाजपेयी जी की है.
अटल जी, आप इन भाजपाईयों को माफ करना…