रायपुर।
पत्रकार विनोद वर्मा के खिलाफ कार्रवाई कर रायपुर पुलिस ने अपने ऊपर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। पुलिस ने किस आधार पर क्राइम ब्रांच को मामला सुपुर्द किया जबकि न तो किसी एक्ट अथवा शासनादेश के तहत क्राइम ब्रांच गठित की गई है। इसे तो पुलिस अधीक्षकों ने गठित कर काम पर लगाया है।
उल्लेखनीय है कि पत्रकार विनोद वर्मा इन दिनों छत्तीसगढ़ पुलिस के लिए बड़े महत्वपूर्ण हो गए हैं। विनोद वर्मा ने कथित तौर पर एक सीडी रखी थी जिसमें छत्तीसगढ़ के प्रभावशाली व ताकतवर मंत्री राजेश मूणत आपत्ति जनक स्थिति में दिखाई दिए गए हैं। आनन फानन में पुलिस ने मामला दर्ज कर विनोद वर्मा को हिरासत में ले लिया लेकिन अब उसे इन सारे सवालों के जवाब देने पड़ेंगे।
सुलगते सवाल
1. क्राइम ब्रांच ने किस आधार पर कार्रवाई की ?
2. सीआरपीसी में थाना की विवेचना का निर्धारण है जबकि क्राइम ब्रांच का उल्लेख भी नहीं है। फि
र भी किसके आदेश पर क्राइम ब्रांच मामले में लगाई गई ?
3. विनोद वर्मा के घर व दुकान का क्राइम ब्रांच को कैसे पता चला ?
4. बिना एफआईआर के किस आधार
5. यदि एफआईआर हुई है तो अपलोड क्यों नहीं की गई ?
6. बिना केस डायरी के गिरफ्तारी कैसे हुई ?
7. विवेचना के बिना गिरफ्तारी किस आधार पर की गई ?
8. बगैर केस डायरी के किस आधार पर ट्रांजिट रिमांड मिल गया ?
वरिष्ठ वकील कनक तिवारी भी मानते हैं कि पुलिस की कार्रवाई में झोल ही झोल है। वह कहते हैं कि मामला अदालत में वकीलों की बहस के आगे टिक नहीं पायेगा। तिवारी के अलावा कई अन्य भी हैं जो मामले में पुलिस को कसुरवार ठहरा रहे हैं।
इसी मामले में एडिटर्स गिल्ड की एक महत्वपूर्ण बैठक आज शाम 4 बजे दिल्ली में रखी गई है। उस में भी यह सवाल उठेगा कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन की परवाह क्यों कर इस मामले में नहीं की गई। दरअसल सारे सवाल इसलिए किये जा रहे हैं क्योंकि वेबसाईट में एफआईआर अपलोड नहीं की गई । एफआईआर के अपलोड़ किए बिना भी विनोद वर्मा गिरफ्तार क्यों किए गए?