प्रकाशपुंज पाण्डेय
‘राजनीति’ का अर्थ है, राज करने की नीति व नियम। परंतु क्या आज के परिदृश्य में राजनीति में कोई नियम हैं? शायद नहीं! आज के मौजूदा हालात में, ऐन-केन, प्रकारेण राज करने को ही राजनीति कहते हैं। मेरी इस राजनीतिक व्याख्या को आप शायद समझने के साथ-साथ, महसूस भी कर रहे होंगे।
भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, जहां प्रत्येक माह कोई ना कोई त्योहार जरूर होता है। त्योहारों के आते ही राजनीति भी गरमा जाती है। अभी दीपावली आने वाली है, परंतु उससे पहले ही राजनीतिक प्रतिस्पर्धा शुरू हो गई है। अब आप शायद सोच रहे होंगे कि कैसी प्रतिस्पर्धा? शायद आप समझ गए, जी हाँ ये प्रतिस्पर्धा है बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स आदि के जरिए प्रचार प्रसार की। बहुत से नेता चुनाव से पहले त्योहारों में जनता का हितैषी बन जाते हैं और त्योहारों के बधाई संदेश देने के लिए, बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स आदि लगाने में जुट जाते हैं।
समझने वाली बात ये है कि क्या वाकई इन बैनर, पोस्टर, होर्डिंग्स आदि के माध्यम से यह संदेश जनता को दिए जाते हैं, या फिर प्रतिद्वंद्वी पार्टी को या फिर अपनी ही राजनीतिक पार्टी के प्रतिद्वंद्वी को! इसका आंकलन आप स्वयं करें। अगले हफ्ते, पुन: राजनीति पर एक नई रिपोर्ट आप सभी के साथ साझा करूंगा। तब तक त्योहारों का आनंद उठाएं, खुश रहें, आबाद रहें और हो सके तो जातिगत राजनीति से ऊपर उठकर देश और प्रदेश हित में निर्णय लें।
मेरी ओर से भी आप सभी को धनतेरस, दिवाली, गोवर्धन पूजा और भाईदूज की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाईयाँ और अगर किसी त्योहार का जिक्र करना भूल गया हूँ तो उसकी भी शुभकामनाएँ।
जय हिंद, जय भारत।