रायपुर।
मुख्यमंत्री के निर्वाचन जिले राजनांदगांव में स्वास्थ्य विभाग किस तरह से काम कर रहा है यह वहां हुई पदस्थापना से समझा जा सकता है। दरअसल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) के बाद अब सिविल सर्जन (सीएस) पद पर हुई नियुक्ति पर गौर फरमाईए। सीएमएचओ जिस मामले में आरोपी हैं उसी मामले में सह आरोपी डॉ. आरएस ठाकुर को सीएस का प्रभार सौंप दिया गया है।
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उल्लेखनीय है कि मुख्मयंत्री के निर्वाचन जिले राजनांदगांव में हुई फार्मासिस्ट ग्रेड 2 की भर्ती में कथित तौर पर अनियमितता की जांच चल रही है। फार्मासिस्ट ग्रेड 2 के 21 पदों पर वर्ष 2011 में राजनांदगांव जिले में नियुक्ति हुई थी।
मुख्यमंत्री के निर्वाचन जिले में हुई नियुक्ति तब विवादों से घिर गई जब इसकी यह कहते हुए शिकायत हुई कि आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया गया है। इसके साथ ही राजनांदगांव रोजगार कार्यालय में चयनित अभ्यर्थियों का पंजीयन भी नहीं था।
क्या है प्रकरण क्रमांक 103/2011
बताया जाता है कि शिकायत होते ही स्वास्थ्य विभाग ने इसकी प्रारंभिक जांच कराई। प्रारंभिक जांच का जिम्मा तब के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी रायपुर डॉ. एसके बिंझवार को सौंपा गया था।
डॉ. बिंझवार ने 13 मार्च 2012 को जो जांच रपट सौंपी थी वह प्रकरण क्रमांक 103/2011 के नाम से दर्ज है। अब इसी प्रारंभिक जांच पर विभागीय स्तर पर गत दिनों जांच कराई जा रही है।
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स्वास्थ्य विभाग ने जांच का जिम्मा आईएफएस अनिल कुमार साहू को सौंपा था। उन्होंने राजनांदगांव आकर भर्ती की जांच शुरु की थी। तब भर्ती घोटाले से जुड़े तमाम चिकित्सकों के बयान लिए गए थे। जिन चिकित्सकों के बयान दर्ज किए गए थे उनमें सेवानिवृत्त हो चुके डॉ. एसके चेलानी, प्रभारी सीएमएचओ डॉ. मिथलेश चौधरी, डॉ. पवन जेठानी, डॉ. श्रीमती अल्पना लूनिया, डॉ. आरके सक्सेना व प्रभारी सीएस बनाए गए डॉ. आरएस ठाकुर के नाम शामिल हैं।
क्यूं मिला प्रभार?
राजनांदगांव में सीएस का प्रभार डॉ. आर एस ठाकुर को दिया गया है। इसका कारण यह बताया जाता है कि डॉ. एमके दिवाकर के सेवानिवृत्त होने के चलते डॉ. ठाकुर को प्रभार मिला है। अब इससे बड़ी विसंगति की बात क्या होगी कि पेशे से चिकित्सक रह चुके प्रदेश के मुखिया को खुद के जिले में पाक-साफ चिकित्सक नहीं मिल पाएं हैं। तभी तो जिस मामले के आरोपी प्रभारी सीएमएचओ हैं उसी मामले के सह आरोपी चिकित्सक को सीएस बना दिया गया है।