रायपुर.
हाल ही में एडीजी पद पर पदोन्नत हुए वरिष्ठ आईपीएस पवन देव के खिलाफ लैंगिक उत्पीड़न के मामले में कार्रवाई करने के लिए डीजीपी ए.एन.उपाध्याय को एक और पत्र भेजा गया है. पीड़िता ने डीजीपी को पत्र लिखकर वैधानिक कार्रवाई की मांग की है.
उन्होनें पत्र में लिखा है कि मामले की जांच के लिए आईएएस अधिकारी रेणु जी पिल्लै की अध्यक्षता में आंतरिक शिकायत समिति गठित की गई थी. इस समिति द्वारा दिनांक 15.12.2016 को मुझे भेजी गई जांच रिपोर्ट में मेरे द्वारा की गई शिकायतों को सही पाया गया है और आईपीएस पवन देव को प्रथमदृष्टया दोषी माना गया है. पीड़िता ने लिखा है कि मैं समिति द्वारा दी गई जांच रिपोर्ट से पूरी तरह संतुष्ट हूं, लेकिन इस रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के लिए तीन-तीन बार पत्र लिखने के बाद भी आपके द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है, जिससे मैं बहुत व्यथित हूं. उन्होंने लिखा है कि वरिष्ठ आईपीएस के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से लोग तरह-तरह के ताने मारने लगे हैं, जिससे उसके आत्मसम्मान को ठेस पहुंच रही है. पीड़िता ने एक बार फिर डीजीपी पर भरोसा जताते हुए न्याय की उम्मीद जताई है.
इस पूरे मामले पर पीडि़ता की अधिवक्ता निरूपमा बाजपेयी का कहना है कि इस घटना ने सरकार की कथनी और करनी को उजागर कर दिया है. सरकार एक ओर जहां बेटी बचाओ और नारी स्वाभिमान की रक्षा की बात करती है, वहीं दूसरी ओर लैंगिक उत्पीड़न की शिकार महिला को न्याय मिलने से वंचित कर रही है.
इस मामले में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टी.एस.सिंहदेव का कहना है कि विशाखा कमेटी के जांच निष्कर्ष के आधार पर पीड़िता को न्याय मिलना चाहिए. इस मामले में सरकार को स्थिति स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर जांच रिपोर्ट के आधार पर क्या कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा कि यदि जांच रिपोर्ट में पीड़िता की शिकायत सही पाई गई है, तो इसके बाद दोषी अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई न करना सरकार की विफलता ही मानी जाएगी.