अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों का भ्रष्ट आचरण और कार्य के प्रति उदासीनता के चलते नौकरी से हटाया जाना छत्तीसगढ़ सरकार के लिए खतरे की घंटी साबित हो सकता है। दरअसल, अब तक सर्वाधिक कार्रवाई उस नए नवेले छत्तीसगढ़ के अधिकारियों पर हुई है जिसके निर्माण को महज 17 साल होने को आए हैं। अकेले छत्तीसगढ़ के ही पांच अधिकारी इसी तरह के मामले में निपट गए हैं। आने वाले दिनों में कुछ और अधिकारी निपट सकते हैं।
अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा यानि कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस जैसे पद प्राप्त होते हैं। यूपीएससी क्लियर करने के बाद हर साल सैकड़ों युवा इन पदों तक पहुंच पाते हैं। अब अचानक इन पर कार्रवाई होना शुरु हुई है। आम जनमानस के नजरिए से भले ही कार्रवाई बेहद अच्छी है लेकिन आने वाले दिनों में इससे सरकार को होने वाली परेशानी और सत्ता-प्रशासनिक तंत्र के बीच उभरती खाई नजर आने लगेगी।
एकजुट हो जाएंगे आईएएस-आईपीएस?
क्या सरकार की इस तरह की कार्रवाई से आईएएस-आईपीएस सरीखे बड़े अधिकारी एकजुट हो सकते हैं? दरअसल, ये सवाल इसलिए किया जा रहा है क्यूंकि अब तक जिन पर कार्रवाई हुई है वे ही अपनी लड़ाई या तो लड़ रहे हैं या फिर लडऩे की कोशिश उनके द्वारा की जा रही है लेकिन इसमें कहीं पर भी उनके अपने संगठन का सहयोग नहीं है।
… लेकिन आने वाले दिनों में संभवत: ऐसा न रहे। यदि तेजी से कार्रवाई होती रही तो ये सारे अफसर सरकार को दबाव में लाने एकजुट हो सकते हैं। इनके द्वारा मंत्रियों को स्पष्ट तौर पर टका सा जवाब दिया जा सकता है कि हम आपके कहने पर गलत काम करते हैं और हम ही निपटते हैं।
इससे सर्वाधिक प्रभावित छत्तीसगढ़ हो सकता है। बताया जाता है कि बीते छ:माह के भीतर अखिल भारतीय सेवा के जिन अफसरों पर इस तरह की कार्रवाई हुई है उसमें सर्वाधिक पांच अफसर छत्तीसगढ़ से आते हैं। उस छत्तीसगढ़ से जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। उस छत्तीसगढ़ से जहां का पूर्व मुख्यमंत्री कहते रहा है कि ‘मेरे समय ईमानदार रहे अफसरों को इस सरकार ने भ्रष्ट कर दिया है।’
भविष्य में क्या कुछ होता है यह तो समय आने पर ही पता चलेगा लेकिन छत्तीसगढ़ में बेखौफ अफसरशाही इससे निपटने लगी है। अब तक छत्तीगसढ़ में जिन पर कार्रवाई हुई है वह कोई दूध के धूले नहीं हैं लेकिन इस तरह अचानक अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्त कर दिए जाने के मसले पर वह अन्य अफसरों को सरकार के प्रति चेता सकते हैं। मतलब साफ है कि सरकार के लिए आगे आना वाला समय खतरे की ओर इशारा कर रहा है।
इन पर हुई कार्रवाई
राजकुमार देवांगन (आईपीएस) – आईजी रह चुके थे और एडीजी पद पर प्रमोट होने वाले थे लेकिन प्रमोशन के पहले रिटायर्ड कर दिए गए।
केसी अग्रवाल (आईपीएस) – टेलीकम्यूनिकेशन में डीआईजी पद पर पदस्थ थे। जिन्हें सराहनीय कार्य के लिए राष्ट्रपति पदक मिला वही अचानक हटा दिए गए।
एएम जूरी (आईपीएस) – एआईजी थे। दो पत्नी के मामले में उन पर शिकायत की जांच चल ही रही थी और अचानक सेवानिवृत्त हो गए।
अजयपाल सिंह (आईएएस) – हमेशा विवादों में रहे इस अफसर ने तो पर्यटन मंत्री और मुख्यमंत्री के खिलाफ पीसी भी ले ली थी।
बाबूलाल अग्रवाल (आईएएस) – आय से अधिक संपत्ति के मामले में इन्हें खदेड़ दिया गया है। ये पहले अफसर हैं जो लेने नहीं बल्कि देने के आरोप में गिरफ्तार हुए थे।