रायपुर।
महज 17 साल पुराने छत्तीसगढ़ में किस कदर भ्रष्टाचार हावी है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण आईएएस-आईपीएस स्तर के अधिकारियों की अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्ति ही है। अभी आईपीएस रह चुके राजकुमार देवांगन, एएम जूरी व केसी अग्रवाल को सेवानिवृत्त किए जाने की खबर पुरानी भी नहीं हुई थी कि दो आईएएस अफसर सेवानिवृत्त कर दिए गए। बाबूलाल अग्रवाल व अजय पाल सिंह अब सरकारी सेवक नहीं रह पाएंगे।
दरअसल, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों पर पहली मर्तबा इस तरह तेजी से और लगातार कार्रवाई हो रही है। आम जन-मानस इस तरह की कार्रवाई से प्रसन्नचित्त भी है। उसे लगता है कि अब ऊंट पहाड़ के नीचे आया है। आज ही बाबूलाल अग्रवाल (1988 बैच) व अजय पाल सिंह (1986 बैच) सहित मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी एमके सिंह (1985 बैच) की रवानगी की खबर सुनाई दी।
कई अफसर होंगे प्रभावित
‘नेशन अलर्ट’ ने पूर्व में ही आईएएस-आईपीएस अफसरों की घबराहट के संदर्भ में अपने पाठकों को खबर दी थी। अगले ही दिन यह कार्रवाई प्रशासनिक तंत्र के गलियारों में गूंजती रही। अभी-भी कई अफसर ऐसे हैं जिन पर आने वाले दिनों में कार्रवाई हो सकती है।
बाबूलाल अग्रवाल सरीखे बहुत से आईएएस-आईपीएस-आईएफएस जैसे अफसर छत्तीसगढ़ में अभी भी कार्यरत हैं। यदि इसी तरह निष्पक्ष कार्रवाई होती रही तो अनिवार्य रुप से सेवानिवृत्त किए जाने वालों की संख्या दर्जनभर पार हो जाएगी। इसमें कई वरिष्ठ अधिकारी हैं तो कई जूनियर लेवल के अफसर हैं।
छत्तीसगढ़ में ही बाबूलाल अग्रवाल इकलौते नहीं हैं। बाबूलाल अग्रवाल के तौर-तरीकों पर चलने वाले कई अन्य अधिकारी अभी भी यहां पदस्थ हैं। छत्तीसगढ़ की उम्र महज 17 साल होने को आई है लेकिन इतनी कम अवधि में छत्तीसगढ़ के इन अधिकारियों ने आय से कहीं अधिक संपत्ति अर्जित कर अपने उपर कार्रवाई बुला ली है। आय से अधिक संपत्ति के अलावा इन पर कई अन्य आरोप भी हैं। उन्हीं आरोपों में अब न तो इन्हें जवाब देते बन रहा है और न ही कार्रवाई को टालना क्यूंकि छत्तीसगढ़ में और भी हैं बाबूलाल।