बालाघाट के निजी विश्वविद्यालय के कुलगुरू निर्धारित योग्यता को पूरा नहीं करते

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मृत्युंजय

बालाघाट.

निजी विश्वविद्यालयों में निर्धारित योग्यता के बिना कुलगुरूओं की नियुक्ति कर दिए जाने के मामले में बालाघाट का भी नाम जुड़ गया है. बगैर योग्यता के कुलगुरू बनाए गए व्यक्ति पर 15 दिनों के भीतर कार्रवाई प्रस्तावित बताई जा रही है.

दरअसल, बालाघाट इकलौता ऐसा शहर नहीं है जहाँ इस तरह का मामला सामने आया है. उच्च शिक्षा से जुडे़ विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि पूरे प्रदेश का तकरीबन ऐसा ही हाल है.

मध्यप्रदेश ने निजी विश्वविद्यालयों के सुचारू सँचालन के लिए विनियामक आयोग का गठन कर रखा है. फिलहाल आयोग के चेयरमैन का दायित्व प्रोफेसर भरतशरण सिंह सँभाल रहे हैं.

प्रो. सिंह बताते हैं कि आयोग ने एक जाँच करवाई थी. इसकी रपट चौंकाने वाली है. प्रदेश के इतिहास में सँभवतः पहली इतनी बडी़ सँख्या में कुलगुरूओं के चयन में गड़बडी़ पाई गई.

अब इन पर नियमसंगत तरीके से कार्रवाई प्रारंभ कर दी गई है. आयोग ने इसके लिए पखवाडे़ भर की मियाद भी तय कर दी है. कहा गया है कि यदि कुलगुरू की नियुक्ति में निश्चित मापदँड का पालन नहीं हुआ है तो ऐसे कुलगुरू तत्काल पद से हटा दिए जाएंगे.

53 में से 32 विवि के कुलगुरू मापदँड पूरा नहीं करते. . .

अधिकारिक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में कुलजमा 53 निजी विश्वविद्यालय सँचालित हो रहे हैं. आयोग की जाँच में पाया गया कि इनमें से 32 निजी विश्वविद्यालय के कुलगुरू की नियुक्ति में तय मापदँड पूरे नहीं किए गए हैं.

बताया जाता है कि राज्य के उच्च शिक्षा मँत्री इंदरसिंह परमार के समक्ष उक्त रपट प्रस्तुत की जा चुकी है. उनकी हरी झंडी मिलने के बाद ही बगैर योग्यता के वाइस चांसलर यानिकि कुलगुरू की कुर्सी पर बैठे लोगों को हटाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है.

ये ऐसे कुलगुरू हैं जिनके पास बतौर प्रोफेसर दस वर्षों का अनुभव ही नहीं है. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ( यूजीसी ) जबकि इसे अनिवार्य मानता है. दूसरे शब्दों में कहें तो यदि किसी के पास दशक भर का अनुभव नहीं है तो उसे कुलगुरू नहीं बनाया जा सकता है.

यूजीसी का एक नियम यह भी है कि वीसी नियुक्त होने के लिए प्रोफेसर होना अनिवार्य है जबकि कई कुलगुरू ऐसे पाए गए हैं जिन्होंने कभी भी प्राध्यापक का काम ही नहीं किया है. इसके बावजूद उन्हें कुलगुरू बना दिया गया. कुछेक ऐसे भी मामले पाए जिसमें आवश्यक कागजात, अनुभव प्रमाण पत्र आदि नहीं पाए गए.

अब प्रदेश का निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग इस तरह की नियुक्ति को अनुचित ठहरा रहा है. इस तरह के प्रकरण में उसने ऐसे कुलगुरूओं को पखवाडे़ भर के भीतर हटाने के निर्देश दे दिए हैं. बालाघाट के अलावा पडोसी जिले छिंदवाडा़ में भी इस पर नकेल कसी गई है.

बताते चलें कि प्रदेश में सागर, मंदसौर, दमोह, शिवपुरी, खँडवा, सतना, रायसेन, विदिशा, ग्वालियर, सिहोर सहित इंदौर और भोपाल के निजी विश्वविद्यालय कार्रवाई के दायरे में आ रहे हैं. सर्वाधिक बुरी स्थिति तो भोपाल – इंदौर की है जहाँ के कुलजमा 16 निजी विश्वविद्यालयों के कुलगुरूओं पर कार्रवाई प्रस्तावित बताई जा रही है.

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