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रायपुर.
सरकार की ओर से ग्रामीणों को आमंत्रण दिया जा रहा है कि वह 15-15 लाख रूपए लें और दूसरी जगह बस जाए. दरअसल, यह सारा मामला टाइगर रिज़र्व एरिया से जुडा़ हुआ है. ग्रामीणों को कुल तीन तरह के विकल्प दिए गए हैं.
अधिकारिक जानकारी के मुताबिक इंद्रावती टाइगर रिजर्व के कोर एरिया के अंतर्गत 76 गाँव प्रभावित हो सकते हैं. बीजापुर जिला प्रशासन ने इनमें से कुलजमा 21 गाँव पहले चरण के लिए चुने हैं. मतलब यहाँ व्यवस्थापन व अन्य कार्य पहले होंगे.
इन्हीं 21 गाँवों में स्वेच्छापूर्वक विस्थापन को बढा़वा दिया जा रहा है. विस्थापन की चाह रखने वाले परिवारों को शासन की विस्थापन योजना का लाभ पहुँचाने के लिए तिथि तय कर दी गई है.
प्रशासनिक जानकारी बताती है कि बाघ संरक्षण के लिए ग्रामवार सर्वे करने सहित गाँव के लोगों को आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि निर्धारित की गई है. हालाँकि इस पर दूसरा पक्ष भी उभर रहा है जिसे प्रशासन अपनी ओर से गलत प्रचार बता रहा है.
बीते दिनों ही इस विषय पर बैठक भी हो चुकी है. बैठक में जिला प्रशासन के अधिकारियों सहित वन विभाग, इंद्रावती टाइगर रिजर्व के आला अधिकारी मौजूद थे.
. . . तो प्रशासन को आपत्ति नहीं होगी
इंद्रावती टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक संदीप बलगा ने बताया कि पूर्व में सर्वे एवं आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि 23 अगस्त तय की गई थी. अब इस तिथि को भी संशोधित कर दिया गया है.
इसके लिए अब एक सितंबर 2025 तक आवेदन किया जा सकता है. मतलब अगले वर्ष एक सितंबर तक 18 वर्ष से अधिक उम्र वाला कोई भी व्यस्क व्यक्ति आवेदन कर सकता है.
जिलाधिकारी संबित मिश्रा बताते हैं कि आईटीआर इलाके के विस्थापित परिवार के प्रत्येक बालिग सदस्य को 15 -15 लाख रुपए देने सहित कुछेक और विकल्प भी उपलब्ध करवाए गए हैं.
इनमें कहीं और मूलभूत सुविधाओं के साथ बसाहट की योजना बनाई गई है. बताते चलें कि यदि 21 गाँवों में रहने वाले ग्रामवासी स्वेच्छानुसार विस्थापित नहीं होते हैं तो शासन को किसी प्रकार की कोई आपत्ति नहीं होगी.
अधिकारिक जानकारी के मुताबिक टाइगर रिजर्व एरिया में बहुत से ऐसे गाँव आते हैं जो वीरान हैं अथवा इनमें बहुत ही कम परिवार रहते हैं.
ग्रामीणों को इस बात की छूट बताई जाती है कि वे विस्थापन का मुआवजा लें या नहीं लें.
वन मंडलाधिकारी (सामान्य) राम कृष्णा योजना की जानकारी देते हुए बताते हैं कि पहले चरण में चयनित 21 गाँवों में ज्यादातर वीरान गाँव शामिल हैं. इनमें से कई परिवार सलवा जुड़ूम के दौरान गाँव छोड़ चुके हैं.
कृष्णा कहते हैं कि कई नक्सल पीड़ित परिवार भी हैं जो अपना सब कुछ छोड़ कर कहीं और रह रहे हैं. ऐसे परिवारों के आवेदन आने शुरू हो गए हैं.
एसडीएम जागेश्वर कौशल सहित आईटीआर अधिकारियों की प्रभावित गाँव पेनगुंडा के ग्रामीणों से इस योजना के सँबँध में विचार विमर्श जारी है. प्रशासन का प्रयास यह है कि शांति के साथ स्वेच्छा से विस्थापन हो जाए.