रायपुर।
छत्तीसगढ़ के कुशाभाउ पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति मान सिंह परमार की नियुक्ति पर भी अब सवाल खड़े हो गये हैं. आरोप है कि परमार भी कुलपति होने की अर्हता पूरी नहीं करते. डॉक्टर मान सिंह परमार ने 9 मई 2015 को कुलपति का कार्यभार संभाला था.
गौरतलब है कि राजभवन ने बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर सदानंद साही की नियुक्ति पर रोक लगाई है. हालांकि इसका कारण स्पष्ट नहीं किया गया है. उन्हें 1 जून को कार्यभार ग्रहण करना था. लेकिन माना जा रहा है कि कुलपति के लिये 10 वर्ष तक किसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर या समकक्ष पद पर कार्य करने की न्यूनतम अर्हता साही के पास नहीं है. उनके पास केवल 9 साल 6 माह का ही अनुभव है.
अब इसी को आधार बना कर रायपुर में कांग्रेस पार्टी के छात्र संगठन ने कुशाभाउ पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति मान सिंह परमार पर निशाना साधा है. एनएसयूआई के छात्र इसी मुद्दे पर राजभवन जा कर राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने की कोशिश कर चुके हैं.
एनएसयूआई के जिलाध्यक्ष अमित शर्मा ने कहा है कि प्रदेश में दो कुलपतियों के लिए अलग अलग पैमाने कैसे हो सकते हैं. जब 10 साल शिक्षण का अनुभव नहीं होने की वजह से प्रोफेसर साही को कुलपति नहीं बनाया जा सकता तो कुशाभाउ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविदयालय में मान सिंह परमार को भी 10 साल अनुभव के बगैर कुलपति कैसे बना दिया गया.
इधर सदानंद साही के मामले में पूर्व शिक्षा मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा है कि साही को कुलपति पद पर पदभार ग्रहण करने से केवल इसलिए रोका जा रहा है क्योंकि वे वामपंथी विचारधारा के हैं. जबकि किसी की योग्यता का पैमाना किसी विचारधारा का समर्थन करना या नहीं करना, नहीं हो सकता. सत्यनारायण शर्मा ने इसकी शिकायत राष्ट्रपति से करने की बात कही है.