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नोखामंडी. राजस्थान में एक गांंव है बंबू. . . बीदासर तहसील, जिला चूरू अंतर्गत आने वाले इसी गाँव में जसोलवाली माँ माजीसा धनियानी की एक भगत हैं जिन्होंने एक दो नहीं बल्कि पिछले 23 वर्षों से भोजन ग्रहण नहीं किया है. अब धाम पर माँ माजीसा के अवतरण दिवस पर विशेष जोत के अलावा पूज परसादी की जाएगी. मंगलवार दोपहर में भँडारे का भी कार्यक्रम रखा गया है.
उल्लेखनीय है कि जसोलवाली माँ के नाम से प्रसिद्ध माजीसा का अवतरण दिवस प्रत्येक हिंदूवर्ष के भादो माह में मनाया जाता है. भादो के शुक्लपक्ष की सातम तिथि पर इस दौरान छोटे-बडे़ सभी भगत अपने अपने हिसाब से माँ की सेवा में जुटे रहते हैं.
माजीसा का एक नाम माँ स्वरूपा है. बंबूधाम में रहने वाली माजीसा की भगत इस महिला का माँ के ही नाम से बडे़ लाड़प्यार से इनके माता पिता ने स्वरूप बाईसा नाम रखा था.
शुरूआती दिनों में अपने मायके नोखा में ही अपनी माताश्री को माँ माजीसा की सेवा करते हुए इन्हें भी भक्ति भाव की ऐसी धुन लगी कि महज 12 साल की उम्र से पधारे होने लगे.
प्रत्येक माह की दूज, सातम, नवमीं, तेरस और चौदस को अब बंबू गाँव का एक तरह से अलग नजारा रहता है. इन दिनों में माँ माजीसा का दरबार लगता है. सुबह 7 बजे माजीसा की जोत होती है.
स्वरूप बाईसा का ब्याह महज 9 वर्ष की उम्र में हो गया था. मायका नोखा से लगभग 60 किमी दूर सांडवा के नजदीक बंबू गाँव निवासी राठौर परिवार में इनका सासरा (ससुराल) है.
विवाह के शुरूआती वर्षों में ससुराल वाले इन्हें साधारण स्त्री ही मानते थे लेकिन धीरे धीरे इनके चमत्कार दिखाई देने लगे. पूछपरख बढ़ गई.
12 साल की उम्र से इनके मुख से माँ माजीसा बोलने लगी. एक मर्तबा यह पैदल ही जसोल के लिए रवाना हुईं. जसोल पहुँचने के बाद इन्होंने माँ भटियानी की सेवा करने का ऐसा प्रण लिया कि भोजन ही त्याग दिया.
इस बात को आज तकरीबन 23 साल हो गए हैं जब से सिर्फ़ चाय पानी ही ग्रहण किया है. बिना भोजन किए माजीसा की सेवा में लीन रहने वाली महिला माँ की कृपा से स्वस्थ्य है.
प्रत्येक माह की दूज, सातम, नवमीं, तेरस और चौदस को बंबूधाम में होने वाली माँ माजीसा की जोत में शामिल होने पूरे राजस्थान प्रदेश के अतिरिक्त देशभर से भगत आते हैं. जोत के बाद दरबार में माँ माजीसा के भगत अपनी समस्या के निराकरण के संदर्भ में पूछा (पूछताछ करना) में शामिल होते हैं.
माजीसा की महिमा विदेशों में भी . . .
माँ माजीसा की महिमा विदेशों में भी है. दरअसल, भारत का राजस्थान सीमावर्ती राज्य है. इसके पडोस में ही पाकिस्तान है. इसी पाकिस्तान से माँ माजीसा के इस दरबार की महिमा सुनकर एक भगत ने पहले टेलीफोनिक संपर्क किया था.
माँ स्वरूप बाईसा द्वारा बताए गए उपाय से उसकी समस्या धीरे धीरे कम होने लगी तो वह गाँव बंबू स्थित माँ माजीसा के दर्शन करने उनके मंदिर आया था. पाक से आए से आए इस भगत ने अपनी श्रध्दास्वरूप टेंट की व्यवस्था करवाई थी.
बंबू निवासी गँगा सिंह बताते हैं कि माजीसा माँ के चमत्कारों से लाभ अर्जित करने वाले उनके भगत मोहनराम सियाग, महेंद्र सिंह, श्रवण सोनी आदि अब माँ माजीसा की सेवा में ही जुटे रहते हैं. गँगा सिंह और उनका पूरा परिवार माँ माजीसा का ही भगत है.
याद रखिए किसी भी महीने की ग्यारस, अमावस्या और पूर्णिमा को माँ की बैठक नहीं होती है. बंबू में माजीसा मंदिर जाने के इच्छुक भगत शिवसिंह जी राठौर के घर का पता पूछ सकते हैं तो बेहद आसानी से माँ के धाम पहुँच जाएंगे.
इस धाम को सामान्य बोलचाल की भाषा में राजपूत राठोरों का माजीसा धाम के नाम से भी बंबूवासी पुकारते हैं. बंबू गाँव तहसील बीदासर जिला चूरु अंतर्गत आता है. नजदीक का रेलवे स्टेशन नोखामंडी है. नोखा से सांड़वा बहुत सी बसें चलती हैं. इन्हीं बसों में बैठकर बंबूधाम पहुँचा जा सकता है.